जरूरतों को दरकिनार कर ख्वाहिशों के पीछे भागते हैं
दिन का सुकून तो गंवाया था अब रातों में भी जागते हैं
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KHUDAYA DUAON ME HAMARE ITNA ASAR DE !!
AGAR KHAWAHISHE PURI NA HO TO SABAR DE !!-
क्या बात करु इस दोस्ती की जनाब,
यहा एक की ख्वाहिश दूसरे की इल्तिज़ा है ।-
अब ना राहों की खबर , ना ही मंज़िल का पता !
ना जाने ज़िन्दगी की किस मोड़ पर खड़े रह गए हम!
जब वक्त आया हदिका सपनो को उड़ान भरने की तब!
समझौते और ज़िम्मेदारी की ज़ंजीर में फंसे रह गए हम!-
ख़्वाब है अपने हिस्से का आसमां पाने की,
अंबर में अपना अलग आशियां सजाने की,
मां के आंचल में ख्वाहिशों की उड़ान भरी थी,
अब बारी है इन दफनाएं सपनों में जान लाने की।-
ख़ुदारा बस इतना असर मेरी बात में हो
बिछड़ने का मशवरा ना मुलाक़ात में हो
मैं नहीं चाहता कोई चश्म-तर मेरी देखे
ग़र कभी हो ऐसा तो फिर बरसात में हो-
Mayus mat hona jo hota shi hota Hain
Milta whi hain jo kismat me likha hota Hain-
Naa teri khwahish ban na hai aur na hi zaroorat,
Humein to bas teri khushi ki har wajah ban na hai.-
kuch khwabon ko dafnaya hai apne,,kuch kwahinson ko mout ke ghat utara hai...
najane kitne armano ko bhula ke,,bahar muskuraya aur andar toot ke roya hai....-
ZANAAZAA Uthaa Diya
KHWAISHON Ka Humne !
Bdaa AKKAD Kr Chal Rhi Thi
DIL Ki ZAMEEN Pr Meri !!-