ख्वाब
एक सपना है,
जिसमें एक छोटा कायनात अपना है।
जहा ना भीड़ है तरकी की,
ना पैसों का ख्वाब है,
बस चैन है सुकून है, और खुसियो का तालाब है
ना फ़िकर है किसी चीज की,
ना गमो का सैलाब है,
एक ऐसी बड़ी दुनिया मैं
बहुत छोटा पर मेरा ये ख्वाब है।
एक ऐसी दुनिया,
जहा ना जीत हो,ना हार हो।
वाह खुसियो की बहार हो।
ना नफरत का अंधकार हो
जहाँ सिर्फ़ प्यार ही प्यार हो
चाहे छोटी हो वो दुनिया पर,
वहा उम्मीदों की कीलकार हो
ख्वाब मे ही सही पर ऐसा एक संसार हो।
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काश किसी रोज़ कोई ऐसा ख्वाब आए ,
फिर कभी हकीकत से मुलाकात ही ना हो पाए।-
मेरे दिल का हसीन ख़्वाब हो तुम
मेरे सारे सवालों का जवाब हो तुम__
मैं जितना और जब तक लिखू तुझ पर
जो भरती नही मोहब्बत की वो किताब हो तुम__
मेरी ज़िंदगी को कुछ यूँ महका दिया है तुमने
यकीनन एक हसीन ग़ुलाब हो तुम __-
मेरा हँसना या रोनाअलग बात है।
तेरी होना ...न होना अलग बात है।
देखती हूँ मैं अक्सर कई ख्वाब पर...
तेरे ख्वाबों में खोना अलग बात है।
✍️राधा_राठौर♂-
ख़्वाब है अपने हिस्से का आसमां पाने की,
अंबर में अपना अलग आशियां सजाने की,
मां के आंचल में ख्वाहिशों की उड़ान भरी थी,
अब बारी है इन दफनाएं सपनों में जान लाने की।-
मैं कितना....
और ,
कब तक लिखूँ तुझ पर_
तू कहीं तो ,
मेरी कहानी पर विराम दे_
या तो आसमां के
सारे तारे बुझादे_
या चाँद को लाकर
मेरी खिड़की पर टांग दे_-
इतनी तो बड़ी उम्र भी न थी ऐ ज़िन्दगी,जितने बड़े तेरे इम्तिहान थे,हर फैसला तूने लिया कुछ फैसलों का हक हमें भी दे दे।तेरी हर हकीकत को अपनाया हमने हमारे कुछ ख्वाबों को भी हकीकत हो जाने दे।
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कुछ लम्हों का इश्क़ नहीं अपना
तुम्हें सदियों तक चाहने का इरादा है_
ये नदियाँ, ये धरती, वो बादल, हवायें
रहे न रहे..
मेरा फिर भी तुमसे मिलने का वादा है_-
Ab wo khwaab bhi hamaare adhure rh gye,
Jis khwaab me hmm apni duniya banaya krte the ,-
वो ख़ुश्ग़वार वक्त भी अब गुज़रे वक्त की बात हो गई..
सहर भी ना हो पाई शोख़ अरमानों की और रात हो गई!
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हसीन नाज़ुक ख़्वाब की धूप ना सोख पाई दर्द -ए -सीलन
अरसा गुज़र गया है पर क़ल्ब-ए-दीवारें नम ही रह गई .!
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क्या आंखें ख़ुदा ने बख़्शी महज़ याद में रोने की ख़ातिर
तुझे भी पता झील हुआ करतीं थी अब दरिया ही हो गई !
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वो गैर मतलबी से शिकवे और तेरी मौज़ूदगी की तिश्नगी
मुझे सब कुछ याद है ख़ैर वो अब बस यादें ही रह गई.!
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