"जिंदगी धीरे-धीरे तू गुजर"
ए जिंदगी जरा धीरे-धीरे तू गुजर,
मुझको भाने लगा है तेरा ये सफर।
रिश्तों की बुनियादें लेकर,
खुआबों को राहें देकर,
सपनों का शहर सजाना है,
मुझे मकान से घर बनाना है।
ए जिंदगी जरा धीरे-धीरे तू गुजर,
मुझको भाने लगा है तेरा ये सफर।
सूरज से उसकी किरण मांग लू,
नदिया से उसकी लहर मांग लू,
मुझे अपनों को और अपना बनाना है,
मुझे चाँद पे आशियाँ बनाना है।
ए जिंदगी जरा धीरे-धीरे तू गुजर,
मुझको भाने लगा है तेरा ये सफर।
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