क्या होता गर यह दिल तुम पर ना आता
क्या होता गर यह हर पल तुम्हें न चाहता
फिर तुम बिन शायद यह सुकून पाता
क्या होता गर यह दिल तुम पर ना आता
काश तुझे इतना इस हद तक याद आऊं
के मेरे बिना तुझे फिर कहीं चैन न आता
तू काम तलाशे रहने को मुझसे दूर और
उस काम में भी तू , मुझे ना भूल पाता
हो जाए इतना परेशान खयालों से खुद के
फिर लौट कर तू मेरे ही पास आता
ना रह पाता मेरे बिना, बहाने से फिर आता
जाता कहीं भी चाहे, शाम होते लौट आता
काश ऐसा हो जाता काश तू मेरा हो जाता
तेरा दिल मुझ पर इस कदर आ जाता
दुनिया को तू फिर बिल्कुल न दरमियां लाता
मुझे चाहता मेरे बिना एक पल रह ना पाता
लोगों में हो कर भी सिर्फ मुझे याद करता
वक़्त चुरा-चुरा बहाने से मुझसे बात करता
तुझे प्यार यूँ आता चाह कर छिपा न पाता
वक़्त न होने पर भी मेरे लिए वक़्त निकालता
-