Aasifa Khanam   (Aasifa❤️)
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Joined 6 October 2017


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Joined 6 October 2017
13 APR AT 19:54

दिल  को  जो  बात चुभ जाए उसे हटाएँ कैसे?
जिन से दिल उठ जाए उनसे दिल लगाएँ कैसे?

मतलबियों  में  फंसे  वजूद  को  बचाएं  कैसे?
जहाँ  दिल  घुटता  हो  वहां  घर  बसाएं कैसे?

चारों  तरफ   छाया   हो   अगर  घोर  अंधेरा
जहाँ  को  एक  दिए  से  रोशन  कराएँ  कैसे?

खामोशी  ही  खामोशी  छाई  हो  बाहर  तो
खुद  के  अंदर  के  शोर  को  छिपाएं  कैसे?

जिनमें  समझने  की  काबिलियत  ही ना हो
उन्हें  आखिर  "आसिफा"  समझ आए कैसे?

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10 APR AT 5:47

गुनाहगारों को सुधरने को मिला एक महीना
कोई जीता बाज़ी किसी ने चुना बुरा बिछोना

आज नहीं कल, कल नहीं परसों , के बहाने
गवा बैठे हैं मुनाफ़िक़ रमज़ान का नगीना

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10 APR AT 5:26

इस रमज़ान की आखरी सहरी
दिल से मेरे यही दुआ आ रही

दुआएं बहुत मांगी होंगी सबने
कुन फरमादे के हो जाए पूरी

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7 APR AT 5:19

Gaflat me duba dil
Saaf paak tera khayal

Aankhe uthe arsh ko
Jb ho zahan me bawaal

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27 MAR AT 19:41

तू चाहे जिसे अशरफ़-उल-मख़्लूक़ बना दे
तू  चाहे  जिसे  ख़ाक  में  मिला  दे
तू चाहे बना दे किसी को भी राजा से रंक
तू  चाहे  तो  ख़ाक  से  महल  उठा  दे

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25 MAR AT 4:53

मैं मामूली एक मुश्त-ए-गुबार, मैं ना-तवाँ
तू कारसाज़, तू हाकिम तूझ से सारा जहाँ

ना कुछ छिपा तुझसे ना कभी छिप सकेगा
तू है ख़ालिक़, न तुझसा कोई राज़दार यहाँ

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24 MAR AT 19:49

''या अल्लाह ''मुझे एक ऐसी ज़िन्दगी दे दे
जिसमें कुछ दे न दे , तेरी पाक बन्दगी देदे

ख़ाकसार हूँ,तू ख़ाकसार रख इस जहाँ में
है आरज़ू ,एक अच्छा मुकाम अर्श पर देदे

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23 MAR AT 5:07

सहरी, फज्र सुकून भरी खामोशी
है इन में ज़िंदा होने का अहसास

तन्हाई, रोशनी से पहले की स्याही
पाक अच्छी  हवा जैसे तू  है पास

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21 MAR AT 10:27

मैं अलिफ़ पढूं तू याद आए
तू याद आते ही सुकून आए
सलवटें हो माथे पर बहुत
तेरा नाम आए सब मिट जाए

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19 MAR AT 16:48

क्या होता गर यह दिल तुम पर ना आता
क्या होता गर यह हर पल तुम्हें न चाहता
फिर तुम बिन शायद यह सुकून पाता
क्या होता गर यह दिल तुम पर ना आता

काश तुझे इतना इस हद तक याद आऊं
के मेरे बिना तुझे फिर कहीं चैन न आता
तू काम तलाशे रहने को मुझसे दूर और
उस काम में भी तू , मुझे  ना भूल पाता

हो जाए इतना परेशान खयालों से खुद के
फिर लौट कर तू मेरे ही पास आता
ना रह पाता मेरे बिना, बहाने से फिर आता
जाता कहीं भी चाहे, शाम होते लौट आता

काश ऐसा हो जाता काश तू मेरा हो जाता
तेरा दिल मुझ पर इस कदर आ जाता
दुनिया को तू फिर बिल्कुल न दरमियां लाता
मुझे चाहता मेरे बिना एक पल रह ना पाता

लोगों में हो कर भी सिर्फ मुझे याद करता
वक़्त चुरा-चुरा बहाने से मुझसे बात करता
तुझे प्यार यूँ आता चाह कर छिपा न पाता
वक़्त न होने पर भी मेरे लिए वक़्त निकालता

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