Aasifa Khanam   (Aasifa❤️)
2.5k Followers · 134 Following

read more
Joined 6 October 2017


read more
Joined 6 October 2017
9 MAY AT 22:19

जिनकी  नहीं  है  कोई भी औक़ात
वो हैं के ओरों  से पूछने  में  लगे  हैं

जो  गिरे  हुए  हैं  ज़मीं से  भी  नीचे
पकड़ पाँव ओरों को गिराने में लगे हैं

ख़ुद  को  आईने में  देख नहीं  पाते
ओरों पर कीचड़ उछालने में लगे हैं

मोहब्बत क्या है नहीं जानते शायद
तो  बस  नफ़रत  फैलाने  में लगे हैं

कितने घटिया  ग़लीज़  हो  सकते हैं
हम "आसिफा" यही भाँपने में लगे हैं

-


29 APR AT 17:41

तुम अच्छे हो तो बुरे बना दिए जाओगे
फिर भी अच्छा रहना चुना तो मिटा दिए जाओगे

-


18 APR AT 19:06

कुछ क़दम चल कर भीड़ से ऊपर उठ जाओ
आगे बढ़ो और फिर थोड़ा हवा से मिल जाओ

जब उठ जाओ ज़मीं से ऊपर कुछ मुस्कुराओ
ज़मीं से ऊपर आसमाँ से नीचे ख़ुद हो जाओ

भीड़ के शोर से दूर हो, अपनों के क़रीब रहो
ज्यादा फ़ासला न हो बस उतना ऊपर जाओ

जब साँस लेने में हो मुश्किल सोच बंद हो जाए
बंद किवाड़ तोड़ दे, उस हवा के नज़दीक जाओ

न लिख सको न बयाँ कर सको कुछ "आसिफा"
तब ख़ुद के साथ कुछ पल तन्हा निकल जाओ

-


14 MAR AT 7:10

मेरी  सोच  को  लगाम  दे,  दिल  को  थोड़ा आराम  दे
भटकते  ज़हन  को  थाम, मुझे  एक  पक्का  मुक़ाम  दे

आरज़ी  सुकून  न  दे  मुझे, दे  अगर  तो  दाइमी  क़रार  दे
अज़ल  से भटके  हुए  को, अबद  से  पहले  क़याम  दे

मिले हम ज़हन-ओ-फ़ितरत, इलहाम नहीं असल पयाम दे
तेरी  बन्दगी  में  डूबी  रहूँ मैं, मुझे  एक  सच्चा  इनाम  दे

कर दे मेरी ज़ीस्त पर क़रम, मेरी रूह को अच्छा एहतिमाम  दे
मुश्किलें आएँ तो उनसे डरूँ नहीं, मुश्किलों को ऐसा इंतिज़ाम दे

न हो कभी किसी बात का गम, मुझे तू एक ऐसा अंजाम दे
कुछ भी ना दे चाहे तू मुझे, सब्र आसिफा को जहां का तमाम दे

-


6 MAR AT 6:42

सुकून-ए-जाँ परस्तिश में शामिल
है आराम फ़क़त इबादत में हामिल

-


3 MAR AT 17:22

मेरे सामने मुझे ग़ाफ़िल समझ
कर रहे हैं अठखेलियाँ
मैंने साथ रह कर चुप्पी साधे
हल करी हैं कई पहेलियाँ

-


2 MAR AT 5:55

मुझे जहालत से बचा और इल्म का शुऊर दे
मेरे सर को सजदे में रख इबादत का सुरूर दे

ना जाऊं उस तरफ जो तुझ से ग़ाफ़िल करे
मेरे दिल को संभाल मुझे इबादत का फ़ितूर दे

-


31 JAN AT 23:30

ग़ज़ल लिखने बैठूं तो नहीं लिख पाऊंगी
उनवान है ऐसा के कायदे में न कह पाऊंगी

बाग के बागबान पर लिखना चाहा जब
मालूम हुआ, मैं एक गुल भी ना लिख पाउंगी

अंधेरी शब को रोशन चराग करे जो हस्ती
उसपर मैं अदना भला क्या लिख पाऊंगी?

खुदा  ने  जिसे  रखा  मुहाफ़िज़ बना कर
उनके कसीदे के अश 'आर कैसे लिख पाउंगी

मैं  नहीं  पहुंची  उस  मुकाम  पर  अभी , के
अपने वालिदैन की तारीफ खुद लिख पाउंगी

मैं  लिखूं  जब  कभी  मेरे  दिल अज़ीज़ पर
मुआफ़ करना  मगर  बहर नहीं माप पाउंगी

मेरी ज़िंदगी की रोशनी हैं जो मेरे मां-बाप
मैं कैसे इनके किए का कर्ज़ उतार पाउंगी?

है आरज़ू "आसिफा" के खिदमत करूँ इनकी
इन्हीं कदमों के ज़रिए एक दिन मंज़िल पाउंगी

-


26 JAN AT 9:12

हाथ थाम कर चलना होगा तो आगे बढ़ना होगा
एक दूसरे की टांग खींचने में खुद भी गिरे रहते हैं

-


14 DEC 2024 AT 8:44

अपने मेयार से कमतर जब कुछ चुनोगे
तो नाकामयाबी होगी
खुद को दबा कर दूसरों को खुश करना चाहोगे
तो नाकामयाबी होगी
खुद को भुला कर दूसरों को याद रखना चाहोगे
बड़ी मुश्किल होगी
अपने आप को छोड़ दूसरों को तर्ज़ी दोगे फकत नाकामयाबी होगी
खुद को अव्वला तर्ज़ी दोगे तब कहीं कामयाबी होगी
खुद को याद रखोगे तो खुद से जुड़े लोगों को
याद करने में कामयाबी होगी
खुद खुश रहोगे तो दूसरों को खुश रखने में
कामयाबी होगी
खुद के मेयार पर ही चुनोगे तब ही तो कामयाबी होगी

-


Fetching Aasifa Khanam Quotes