कभी सोचा है तुमने
भाग रहे हो जिसके तुम पीछे
वो मिल गया गर क्या तुम करोगे
ठान जो ली है मंजि़ल की चाह तो
पहुंचे वहां जो क्या तुम करोगे
सुकून से भी गर सुकून ना मिले तो
नींद का फिर तुम क्या ही करोगे
कभी सोचा है तुमने
मोहब्बत में भी गर गम ही मिले तो
गमों से रिश्ते क्या तुम रखोगे
वफाई में भी गर वफा ना रहे तो
बेवफा से भी क्या वफा तुम करोगे
यार ना रहे गर यार के जैसा
प्यार उसी से क्या तुम करोगे
कभी सोचा है तुमने
देख लेंगे जो कहते हो सबको
जो ना देख सको तो क्या तुम करोगे
दुनिया के पीछे जो पागल से हो तुम
दीन जो छोड़ा तो क्या तुम करोगे
सजदों में भी गर खुशू ना रहे तो
माथे के निशा का क्या तुम करोगे
कभी सोचा है तुमने?-
In short INAM
As you see On the top
I am An Engineer(by mistake�... read more
We fought
We disagreed
we degraded each other
We been in the silent wars
Even our priorities have changed
But the bond we share is above from all of this . And the one thing I can assure my self is that , you will always be with me in my bad times ,
And in my memories that we created over the past years
I remember, we used to silly talks
I remember, we used to grab money from shariq
I remember, the day when we first met
I remember, when we first fought , that was really so silly , I mean the reason, isn't it?
And there is so many memories that i can share with my childrens with you and shariq
The best days of my life are always be those days .
So thank you for being there in my bad times
Thank you to be born
thank you for being a part of my life
And thank you for everything-
कुछ मर कर उल्फत में कायर हुए
कुछ उतार के पन्नों पे दर्द शायर हुए
सूखे इंतजार में किसी के आने की
कुछ ऐसे भी आंसुओं के सागर हुए
गुज़ारे थे हमने जो खुशनुमा लमहें
वो सब के सब, बस पल -भर हुए
ये कोई नई बात थोड़ी है तुम में
तुम जैसे भी पहले दिलबर हुए
जो बस गये इश्क में वो कुछ ही थे
वागरना अक्सर ही बस बे-घर हुए-
तेरी वजह से ही तो था ,आबाद मैं
जो तू ना है, तो हो गया बर्बाद मैं
हाथों में जो मेरे , तेरा कभी हाथ था
साथ तेरे ही तो दिखता था, नायाब मैं
वैसे तो पढ़ा आशिकों को बरसो मैंने
सबक दिया तूने ,जो ना था किताब में
दर्द कितना है , क्या तुझे बताऊं मैं
जैसे ठहरा हूं मैं, किसी सैलाब में
ढूंढता हूं में ,तन्हाइयों में रो कर तुझे
मिलने को तुझ से , ही तो बेताब मैं
जाना ऐसी भी क्या मुझसे नाराज़गी
एक मुद्दत से ना आई हो, तुम ख्वाब में
अब आ जाओ , किश्ती में बैठकर तुम
जाना डूब रहा हूं , अब मैं शराब में-