Jaruri To Nahi Jeene Ke Liye Sahara Ho
Jaruri To Nahi Hum Jiske Hain Wo Humara Ho
Kuch Kashtiya Doob vi Jaya Karti Hai
Jaruri To Nahi har kashti ka kinara vi ho-
हर तरफ बस अंधेरा ही अंधेरा है
जिंदगी की किरण दिखाई नहीं देती
मानो ज़िन्दगी वीरान हो गयी हो
किसी की आवाज़ तक सुनाई देती
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जब समंदर रूठ गया और
साहिल भी ढह गए,
कश्तियां भी डूब गई
और परिंदे भी उड गए,
बदलना चाहता था रूह
खता हुई क्या हमसे
क्यों बस मुझे ही छोड़ गए,
😢🅿️😭-
Maine kamjor si kasti ko bhi samandar ka safar kara diya...
Maine kise ke toote dil per bhi ishq ka rang chadha diya....-
कौन कहता, जवानी की चाह में हमने, अपनी, बचपन गवा दी ....!
एक बार, कागज़ की, कश्ती बना कर, पानी में तो, बहाईये,
लीजिए .., बचपन ! फिर से, आ गयी .....!-
अगर कश्ती को कभी समंदर में चलता देखना,
तो जिंदगी जीनेे का तजुर्बा तुम भी थोड़ा सिखना ।
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ग़म को सीने से लगा कर थक चुके हैं हम
फरेब ही फरेब हैं हर तरफ़ देख चुके हैं हम
टूटी कश्ती टूटे ख्वाब कब तक चले अकेले हम
काँटें हैं हर तरफ़ पांव में छालें ही छालें आते हैं नज़र हमें अब़ ....
सांझ ढ़ल चुकी जाने क्यूं ... इंतज़ार में है अब भी हम
वो सुबह कभी नहीं आयेगी ... जिसके इंतज़ार में है अब़ भी हम...…..
🍂🍁🍂🤔😔
"हयाती"
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जिस ?
" नज़ाकत से लहरे पैरों ,,
को छूती है
यकीं ?
नहीं होता है
" इन्होने
कस्तिया दुबाई,, होगी-
कस्ती को खबर थी, आने वाले तूफ़ान की,
लहरों को दे रही थी नसीहत, हद में रहने की..।-
...तब देख लिया करती हूँ
अपने मोहब्बत की डुब्बी हुई कश्तियों को
जब उनके सामने मुझे मुस्कुराहट से रू-ब-रू होना होता है-