काफिर नहीं हुँ मैं फिर खुदा मेरी सुनता क्यू नहीं
जिसके लिए करता हूँ इबादत , पढ़ता हूँ आयतें
मेरी वो दुआ कबूल करता क्यू नहीं-
वो बरसती रही इतनी कि
हम बहने लगे...
नमक मुँह पे लगा ,
आवाज आयी, होश आया
समझता था जिसको धार मैं ,
अब समंदर कहने लगे ,
पड़ा है रेत में हर कोई यहा
मदहोश तो कुछ मर चले
तिनका दोस्ती करने चला था उस हवा से
सुना है आजकल उसके आगे बवंडर थमने लगे-
बन जा काफ़िर तू ,
क्यों मंजिल-ए-पता ढूंढता है ।
तू मुस्कुरा के तो देख जरा ,
तेरा आज तुझे ढूंढता है 🍂-
ईमान वालों न सिखाओ ईमान मुझे
मैं दिल में..सपने हसीन रखता हूँ
काफिर हूँ भाई..खुदा में नहीं
मैं खुदी मे यकीन रखता हूँ।।-
Kabhi na kabhi to mera khayal
Karte he hoge na
Bhule bhatke he sahi
Yaad to krte he hoge na
Hum majboor ho gye
Apne halato se magar
Tum to intezaar
krte he hoge na
Kaafir ho gye hn hum
Tumse juda hone ke baad magar
Tum to namaz ada krte he hoge na !!
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हर मुद्दा वाक़िफ नहीं हुआ करता
हर मुसाफिर काफ़िर नहीं हुआ करता
कहने को तो लोग बहुत कुछ कहते हैं
मगर हर शायर आशिक़ नहीं हुआ करता...
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
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बन जा काफ़िर तू ,क्यों मंजिल-ए-पता ढूंढता है ।
तू मुस्कुरा के तो देख जरा ,तेरा आज तुझे ढूंढता है 🍂-
नमाज़ों में सजदे ना भी करूँ
सजदों में नमाज़ें पढ़ता हूँ।
मुसलमां हूँ काफिर जैसा
काफिरों में मुसलमां हूँ मैं।
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मैं इक काफ़िर मुसाफ़िर था लेकिन,
उसे ख़ुदा मान काज़ी हो गया ॥
उन्होनें अज़ान-ए-मुहब्बत क्या की,
मैं भी इश्क़ का नमाज़ी हो गया ॥-
इश्क़ ने हमारा हाल कुछ ऐसा कर दिया
खरोंच से छोटे ज़ख्म को नासूर कर दिया
देखा जबसे तेरी आँखों को इस नमाज़ी ने
तेरे हुस्न ने नमाज़ी को काफिर कर दिया-