खुदा मुझ पर बस एक रहम करे
या तो उसे मेरी किस्मत में लिखें
या मेरी ..किस्मत ही ना लिखें-
लेकिन आशिक ..एक अरसा पुराना हूँ
गोरे रंग के जमाने में मुझे तेरा सांवला रंग पसंद है
फैशन के इस जमाने में मुझे तेरा सलवार सूट पसंद है
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पर्दा हटा लिया अगर चेहरे पर से उसने अपने
मुमकिन है कि पर्दा बुरा मान जाए
फिर अगर देख लिया उसने खुद को आईने में
मुमकिन है कि आईने को भी उससे प्यार हो जाए-
जींस के दौर में भी वो दुपट्टा लेकर चलती है
वो इश्क है मेरा ..इस बात का ख्याल मुझसे ज्यादा वो रखती है-
कुछ तो नाम हो उस रिश्ते का साहिब
एक अरसे से जिसे मै निभाते आ रहा हूं-
मंजिल मुझे अब कहां मिलेगी साहिब
डोली में बैठकर अब वो कहीं और जा रही-
हम तो उसे देख कर ही होश खो देते है
जिसे वो देखती होगी..वो तो मर ही जाता होगा-
सुना है दूर जा रहे हो..अपनी यादें मिटा रहे हो
यकीनन तुमसे ज्यादा मुझे कोई नही जानता
फिर भी लोगों की बातों में आ रहे हो-
उसके लहजे में उससे कैसे बात करे कोई
शिकायत बहुत हैं उससे पर शिकायत कैसे करे कोई-