सोचता हूं सर फोड़ कर मर जाऊं मैं
तेरे दर का मगर पत्थर नहीं मिलता।।-
दर्द को कम करने का ये भी एक ज़रिया ह... read more
वो बेशक भुला दें हमें , मगर
हमें उम्मीद अब भी है...
महज सगाई ही तो हुई है उनकी
उम्मीद कम है मगर, उम्मीद अब भी है। ।-
कुछ देर,दिलचस्प किताब की तरह पढ़ा उन्होंने हमें
और फिर फ़ेंक दिया, धूल भरे कोने में हमेशा के लिए। ।-
साथ कोई भी मिले,
साथ छूट जाता है
दिल को कहां महफ़ूज़ रखें
ये हर जगह टूट जाता है ।।
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चंद चेहरे मुझे अच्छे तो बहुत लगते हैं
शादी मगर उससे करूँगा जिसे खाना बनाना आए। ।-
कब तलक यूं ही इश्क में ठुकराए जाएंगे हम
चोट खाकर भी बेवजह मुस्कुराए जायेंगे हम ।।-
उनकी "ना" को "हां" कैसे बनाएं
अरे कोई ये बताए हमें...
उन्हें हम अपना कैसे बनाएं ।।-
फना होकर भी इश्क़ में
कहां हमें करार आया ।
मेरी कब्र की खाक़ का भी देख
तेरे दर पर कैसा गुबार आया ।।-
बे-हिसाब हुस्न है इस ज़माने में
मैं इन दो आंखों से कितना देखूं ।।-
तुम्हें जो अगर याद नहीं तो बता देते हैं
हम वहीं हैं जिनके ख्वाबों में रोज़ आते हो तुम 🙄-