रमज़ान में रोजो सा है मेरा इश्क़
तेरा मुझे दिखना जैसे कोई सहरी-
From :- jaipur
Insta - @dr.abhinesh
B'dy - 02/01
आज हमें सोचना होगा ऐसा क्या हुआ की वसुदेव कुटुंब का आदर्श स्थापित करने करने वाले देश में माहौल बिगड़ता जा रहा है सर्व धर्म सर्व प्रंथ समान समझने वाले देश में कभी किसी धर्म को तो कभी किसी दूसरे धर्म को निचा दिखाने की कोशिश हो रही है
किंतु हमे यह समझना भी जरुरी है कि ये सब कर कौन रहा है क्या वो आपके बचपन का मित्र है जवाब आयेगा नहीं तो अपने आस पास माहौल को खराब होने से बचाइए
और हाँ सवाल उठाइये उन लोगो पर जो केवल एक पक्ष को महत्व देते है पूछिये उनसे क्या दूसरा पक्ष सच में सही है
और जब आप आवाज उठाये तो हर निर्दोष के लिए उठाइये किसी धर्म विशेष के लिए नहीं चांहे वो आसिफा हो या ट्विंकल वो मथुरा का भरत यादव हो या झारखण्ड का तबरेज़
एवं याद रखिए यदि आप आज मौन रहे या केवल एक पक्ष का समर्थन किया (बिना जांचे सत्यता क्या है) तो परिणाम आपको और हमे हम सबको भुगतना होगा-
मोहब्बत फिर गमो की सौगात लाई है
अधर खिले है और अश्क़ आँख पाई है
जहां में खुश आबाद थे हम भी
हो गए फिर तन्हा जो तेरी याद आई है-
महफ़िल में हँसते तन्हाई में रोते है
रातो को जगते दिन में सोते है
अपने गैर यहां सब पराये है
जो अपने है वो तुम से नाते है-
राम राज की चाह में जंगल राज बना बैठे
सिंहो को करने काबिज़ मनुज जला बैठे
लोकतंत्र में लोक ने ऐसा हाहाकार किया
की लोक ही लोकतंत्र को चिता पे सुला बैठे-
बड़े शहरों में महज़ जिंदा रहने को जी रहे है लोग
मेरे कस्बे में आकर देखो जीने को जिंदा रहते है लोग-
ये ऊँचे अमीर घरों के चिराग है अनाथालय में
गरीब जिगर के टुकड़े को भूखा घर में रखता है-