मिरी सोहबत बहोत खराब है जानेमन
मिरे साथ रहने वाले परिंदे उड़ना भूल गये-
उमड़ पड़े हैं मेघदूत
अलकापुरी जाने के लिए,
यक्ष की हृदय पीड़ा
यक्षिणी को सुनाने के लिए...
दौड़ पड़ा हैं नल का हंस
दमयंती तक मधुर प्रणय
की गाथा बतलाने के लिए...
उन्मुक्त गगन की ओर देखो
कितना व्याकुल हैं कबूतर
शहज़ादी का प्रेम पत्र
प्रेमी को थामाने के लिए...
मैं साधन हीन हूँ।
कैसे सुनाऊँ मैं तुम्हें अपनी हृदय व्यथा...
पाठक!
क्या तुम पहुंचाओगे मेरा प्रेम संदेश उन तक..?
-
मैं भी लिख दूं दिल के जज्बात
एक कोरे कागज पर लेकिन,
उसे ले जाने के लिए कोई
वफादार कबूतर तो मिले !!-
- सुनो ना
सारी कि सारी मोहब्बत मैंने उस ख़त में भर दी ,
मगर उससे भी मेरा टूटा दिल जूड़ ना पाया ...
और इतना दर्द था उस कागज़ के टुकड़े में ,
कबूतर रो दिया उसे लेकर उड़ ना पाया ... 🍁-
Kash mai haram ki Kabutarni hoti,,
Aur meri sari zindagi khana e Kaba me Guzarti,,-
मेरी चिट्ठी पे नाम पता सब सही था
अब कबूतर ही कउवा निकला तो क्या....-
Vo din bhi kamaal ke the
Chahe kitne bhi dur ho
Par ek panchi doriyan
Kam kar deta tha ...🕊✉-
زخم خوردہ مرا کبوتر ہے
تجربہ خوب کامیاب رہا
حفیظ بن عزیز
ज़ख़्म ख़ुरद: मिरा कबूतर है
तजरब: ख़ूब कामयाब रहा
(ज़ख़्म ख़ुरद: = ज़ख़्मी,चोट खाया हुआ)-