सामने बैठ के कानो के झुमके हिलाती थी,
कुछ इस तरह मैं उसे करीब बुलाती थी...!!💞
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जिसे पहन कर तुम खुश हो जाती थी
वो झुमका मेरे पास है
"और बहुत खास है "...
पसंद नहीं झुमका मुझे
पसंद थी तुम उस झुमके को पहने खिलखिलाती हुई
आज भी तुम्हारी मुस्कुराहट मै एक अजब बात है
"तू बहुत खास है "...
एक इत्तेफाक था तेरा मेरा टकराना
मेरा तुझको खुद से ज़्यादा चाहना
और चाहे तुझे कोई और ये मुझे ना बर्दाश्त है
"क्योंकि तू बहुत खास है "...-
उसकी ज़ुल्फो की आड़ में छिपते है जो,
उन झुमके की किस्मत भी गजब ही है।-
यह झुमका उसकी पसंद का है।
और ये मुस्कान उसे पसंद है।
लोग पूछते हैं सबब मेरी अदाओं का
मैं कहती हूं उसे पसंद है।-
कभी उलझी है
अपनी पसंदीदा स्त्री के
रेशमी बालों पर नजरें,
कभी झुमको
पर भी क्या
दिल अटका है तुम्हारा?
कभी पांव के
काले धागे के घेरे में
संजोई है
तुमने दुनिया अपनी,
कभी आंखो के
कजरे में क्या
जीवन सिमटा है तुम्हारा?-
सोलह श्रृंगार की मुझे आवश्कता ही नहीं,
बस उसका दिया झुमका डाल कर,
अपने कानों विच मैं सबसे चोखी लगनी हूँ !!-
तुम नाराज़ मत होना, ले जाऊँगा तुम्हें
तुम्हारे शहर के उन बाज़ारों में जहां
झुमक़े तुम्हारी पसंद के मिलते है.-
I wear jhumkas heavier
than your judgements
and I don't let either of them
pull me down.-
बिंदी से छूटकर, ये दिल झुमका पर भटक गया,
मानो आसमान से गिरकर, ये खजूर पर अटक गया...!-
मेरे झुमकों,
के मोतियों,
तक का !
💕
जो हिसाब,
रखता हो !
💕
वो कैसे न मुझसे,
प्रेम बेहिसाब,
करता होगा !!-