Aakankksha Verma   (©AAKANKKSHA✍️)
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Joined 25 July 2020


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Joined 25 July 2020
3 SEP 2022 AT 18:30

दिन भर की थकान भरे
बोझिल बस्ते के संग
जब मैं दफ्तर से घर आता हूंँ
तुम मुस्कुरा कर खोलती हो
किवाड़ हमेशा
अंदर आते ही थमाती हो
पानी भरा गिलास
और दौड़ जाती हो किचन में
चढ़ाने चाय का पतीला।
मैं तुम्हारे संग नहीं
तुम्हारे पीछे आता हूंँ
और भर लेता हूं तुम्हे
अपनी बाहों में

क्योंकि

मेरी औषधि चाय की चुस्की नहीं
तुम्हारा आलिंगन है।

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21 MAR 2022 AT 22:36

सुनो अब कमरे के जाले छुड़ा लो
अब उस बक्से को अकेले धक्का लगा लो

ठंड बढ़ गई है अलाव जला लिया करो
घड़ी तो टूट गई अब तो समय से खा लिया करो

ये जो अनबन हुई किसी ने सुना तक नहीं
तुम भी सांँस लेने को घुंघट हटा लिया करो

कल नब्ज बढ़ी थी तुम्हारी सब ठीक तो है ना
तो तुम भी अटहरी पर कपड़े सुखा लिया करो

कहूंगी तो बेरहम सी होंगी ये सुर्ख कांच की बातें
जख्म खोदकर अब खुद ही मरहम लगा लिया करो

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2 MAR 2022 AT 17:02

कितना शोर है चारों तरफ और मन में सन्नाटा, घोर सन्नाटा।
आवाज दे रही हूंँ कोई सुन नहीं रहा या आवाज किसी निर्वात में जाकर शून्य हो गई है और उस शून्य को किसी ने दबा रखा है अपने सघन विचारों तले। मैंने कोशिश की बचाने की पर तब तक वो रौंद चुके थे शून्य को।‌
शून्य मरा नहीं है,वह मेरे मन की तलहटी के एक छोर में फिर उपज रहा है,फिर फलेगा-फूलेगा पर इस बार इसे मैं असंख्य का आश्रय दूंँगी। मौन को रखवाली का कार्यभार देकर,एकांत को छत्रछाया बनाकर हमेशा साथ रहने को कहूंँगी। शून्य भोला है,अश्रु से दोस्ती कर बैठा है और पीड़ा से भी उसका लगाव होता दिख रहा है।
कल रात एक द्वंद हुआ,मन के सारे साथी स्थान छोड़कर भटक गए। निराशा,पीड़ा,अश्रु किसी तरह वापस स्थान पर पहुंच गए हैं पर साहस,उत्साह,सुखद का कुछ पता नहीं चल पाया है। शून्य को भेजा है ढूंढने,बस मौन साथ आता दिख रहा है। मैंने आवाज दी है कोई उत्तर नहीं आया है,मन का कोलाहल शांत हो चुका है और अब बचे हुए साथी पूरे प्रेम से एक दूसरे के साथ ही रहते हैं।

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13 FEB 2022 AT 17:12

यह संसार
जहांँ हर
अनैतिक घटना संभव है

बस संभव नहीं है
एक प्रेमी का
उसकी प्रेमिका से विवाह

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27 AUG 2020 AT 13:23

|| बनारस का घाट ||

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31 DEC 2021 AT 13:14

कोई इस साल भी
घर नहीं पहुंचा है
किसी के हिस्से का प्यार
आज भी बरनी में रखा है

किसी की नीली साड़ी
धूप में सफेद हो गई
कई चिट्टियां उम्रभर केलिए
डायरी में कैद हो गई

कहीं बरसा है प्रेम
बसंत की रिमझिम फुहार सा
कहीं सवेरे को भी
आने में देर हो गई

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10 DEC 2021 AT 19:19

प्रेम में
प्रेम का
और
प्रेम के लिए होना
ईश्वर का
दिया हुआ
सर्वश्रेष्ठ वरदान
है

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21 NOV 2021 AT 13:28

जिन लड़कियों
को
संँभालना पड़ा
छोटी उम्र से ही
घर की
सारी जिम्मेदारी
वो लड़कियांँ
कभी नहीं मानेगी
विज्ञान की तरक्की
और
रविवार के
अवकाश को

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9 OCT 2021 AT 22:55

आसान नहीं है रोशनदान की रोशनी से कमरे का भर जाना
जैसे, आसान नहीं है किसी जीवंत सपने का मर जाना

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22 SEP 2021 AT 15:37

जीवन की जटिल परिभाषा में
प्रेम का पूर्णविराम हो तुम।

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