बहुत इतरा कर निकले थे घर से कि खुद का ख्याल रख लेंगे हम। पर अब...
जब हर सुबह कोई डांट कर उठाता नहीं।
रोज बाहर खाने पर कोई रोकता नहीं।
अपनी छोटी-छोटी जंग जीतने पर जब कोई सावासी नहीं मिलती।
बीमार होने पर जब कोई ख्याल नहीं रखता।
अपनी बातें बेवजह बेवकूफी वाले सुनने के लिए जब किसी के पास वक्त नहीं होता।
और लाड प्यार से बिगाड़ने के लिए जब कोई आस पास नहीं होता।
तब समझ आता है कि
कुछ पाने की जिद में कितना कुछ खो आए हम।-
❤️Love to play football ⚽
🥰proud to be Navodayan 🥰
कि तुमको कुर्ता जचता मुझ पर
तुम जींस में बच्ची लगती हो ।
और सूट पहन कर आओ ना
उसमें और भी अच्छी लगती हो।।
कि तुमको मैं मनचला लगता हूं
तुम थोड़ी सी शक्की लगती हो।
सुनो गुस्सा हो जाओ ना
गुस्से में और भी प्यारी लगती हो।।
कि मैं भी हूं कुछ भोला सा
तुम उम्र में कच्ची लगती हो।
और झुमके पहन कर आओ ना
उसमें और भी अच्छी लगती हो।।
कि मुझ पर तुमको काला रंग भाता
तुम हर रंग में मुझे अच्छी लगती हो।
और पायल पहन कर आओ ना
गूंजती हुई और भी अच्छी लगती हो।।
कि मेरी बातें भाए तुमको
तुम वादों की पक्की लगती हो।
मेरी हमसफर बन जाओ ना
मेरे साथ ही अच्छी लगती हो।।-
Next one month are going to decide whether,
you will be reading the same book again or you will be doing second step of your career
Study hard, you still have time.-
हां तुम्हारे ही मैसेज का इंतजार रहता है।
गुजरते हो जब इन आंखों के सामने से तो
ए नजरें तुम पर ही आकर रूकती है।
और जिस अदा से तुम मुझे भीड़ में
छुप - छुप कर देखते हो।
कसम खुदा की मुझे खुद से
मोहब्बत हो जाती है
हां तुम्हारे एक view के लिए
मेरा WhatsApp का status लगता है!
और जो तुम पुछते हो यह किसके लिए लिखा?
हां तो वह तुम्हारे लिए लिखा होता है।-
मसला ए नहीं की तुम
मेरी परवाह नहीं करते।
मुद्वा ए है की मुझे आज भी
तुमसे क्यों उम्मीद है
बस मुद्वा ए है कि मुझे
तुमसे क्यों उम्मीद है।-
हमारे दरमियां ए जो आए फासले, फासले ही सही।
तुम उस पार, हम इस पार ही सही।
लेकिन कभी याद जो आए हम।
फुर्सत से मिलना ऐ दोस्त।
वरना कुछ बात से, बात ना ही सही।-
थोड़ी सी चालाकियां मुझे भी सिखा दे, ऐ जिंदगी!
इस दौड़ में मासूमियत मुझे महंगी पड़ रही है।-
Trust Me
I will never come into
Your life
If you feel better without me.-
सारी रात तेरा ही बस ख्याल रहा।
तेरे उस एक खत का तलाश रहा।
जिसे देकर चले गए थे तुम ये कहके।
मिलेंगे फिर कभी दोबारा ठहर के।
तब से ठहरा हुआ है यह आलम।
खाली आज भी है मेरे दिल का वो काॅलम।
जिसे मिटा दिया था तुमने बस ये कहके।
की खुशियां ही खुशियां लिख लेना तुम।
अपने अधूरे ख्वाब पूरे कर लेना तुम।
कि जिंदगी मेरे बिना ही जी लेना तुम।
कमरे के सारे दस्तावेज उलट डाली हूं।
मैं वह खत ढूंढ डाली हूं।
जिसे तूने कभी लिखा ही नहीं।
और जिसे मैंने कभी पढ़ा ही नहीं।
अब तो स्याही भी इसकी बदरंग हुई।
तेरे बाद अब मैं हूं और मेरी तन्हाई है।-
याद है वो 10 Aug. 2015 की तारीख
जब पापा ने सपनों के पिछे दौड़ाया था।
मुझे खुद School bag देकर,
पापा ने अपने हाथों से भारी Box का बोझ उठाया था।
मां के हाथों में Documents और bucket की भार थी।
घर परिवार से दूर जाने की वो ऐसी घड़ी थी।
नानी, दादी और मां के आंसू भी फीके पड़ गए थे।
ऐसे जैसे घर से बेटी विदा होती है जैसे!
सपनों और अरमानों का सैलाब लिए, नवोदय की दूरी तय करनी थी।
एक परिवार से दूर हुई थी, दूजा नवोदय परिवार से मिली थी।
कुछ दूर चलके उनके साथ ही, अपने सपनों को भुलाया थी।
नवोदय की उस रंगीन चंबल बस्ती में खुद के अरमानों पर पानी फीराई थी।
दोस्ती यारी की मौज मस्ती में पापा से Test Marks छुपाई थी।
एक Bad moment ने मुझे blanket के अंदर पूरी रात रुलाया था।
यह एक Bad moment ने मेरे Strength से मुझे मिलाया था।
अगले सुबह जब class गईं तो सारे उम्मीदों को Sir ने जगाया था।
फिर से हौसला बुलंद करके अपना कदम आगे बढ़ाई थी।
सब कुछ को फिर से भुलाकर खुद के सपनों के पीछे लगना था।
~Deepa Varun (JNV Mrj)
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