बुंदेले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी थी,,,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी...!!!!
पुण्य तिथि पर शत शत नमन 🙏🙏🙏🙏🙏-
शौर्य और पराक्रम से इतिहास में नाम रोशन किया,
शास्त्रों के साथ शस्त्र विद्या का ज्ञान बचपन में ही लिया।
पति व पुत्र की मृत्यु के बावजूद अंग्रेजों से खूब बहादुरी से लड़ी,
मणिकार्णिका(मनु) वाराणसी में पैदा हुई।
महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है रानी लक्ष्मी बाई,
भारतीय महिलाओं के समक्ष अपने जीवन काल में आदर्श स्थापित कर विदा हुई।-
होवे चुप इतिहास,
लगे सच्चाई को चाहे फांसी,,
हो मदमाती विजय,
मिटा दे गोलों से चाहे झांसी,,
तेरा स्मारक तू खुद ही होगी,
तू खुद अमिट निशानी थी,,
बुंदेले हरबोलों के मुंह, हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी....!!!!!!
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"झाँसी", हमारी "झांसी"
जिसकी फ़िज़ा में सियासत घुली हो ना तो ये वो लखनऊ है
और ना ही कारखानों की आवाज वाला कानपुर है
ना इत्रों की महक वाला कन्नौज है
और ना ही चूड़ियों की ख़नखन वाला फ़िरोज़ाबाद
ना ये बनारस है ना ही प्रयागराज
और तो और ये मेरठ , गोरखपुर, अलीगढ़, फैज़ाबाद और जौनपुर भी नहीं है
ये तो बस ख़ालिश "झाँसी" है रानी लक्ष्मीबाई की "झाँसी"
जिन्हें हम प्यार से बाई-सा कहते है मेजर ध्यानचंद की "झाँसी"
जिन्हें लोग दद्दा कहते है
यहाँ ना हिन्दू है, ना मुसलमान, सिख और ईसाई भी नहीं है
यहाँ सिर्फ इंसान है
तभी तो हम सब लोग मिलकर रहते है
इसीलिए हमने दीवाली पर पटाखे भी छुड़ाए तो मीठी ईद पर सेवइयां भी चखी
गुरु पर्व पर लंगर भी चखे तो क्रिसमस पर कैंडल भी जलाये
यहाँ की मिट्टी ही अलग है
जो यहाँ पर आता है यही का होकर रह जाता है
ये "झाँसी" है ही कुछ ऐसी सब को अपना लेती है
हमें गर्व है तुम पर ए-"झाँसी"
तुम ऐसी ही रहना सदा
ऐसी ही अपना प्यार दुलार देते रहना
क्योंकि हम रहें या ना रहें लेकिन तुम हमेशा रहोगी
ए-झाँसी-
वाराणसी में जन्मी,
बिठूर में पली बढ़ीं,
झांसी की बनीं रानी,
और ग्वालियर से चल बसीं,
ऐसी भारत की बेटी के लिए मैं क्या कहूं,
न कोई शेरनी भी जिसकी सानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी, वो तो झांसी वाली रानी थी...-
Jinke aavaaz mein thaa talavar ka dhar
Manikarnika nam se janta sara sansar
Pehechan hai wo pura Jhansi ka
Shaan hai wo har ladki ka-
इस गगनचुमते दुर्ग में अब भी हमारी रानी रहती है ।
इन बुज़ुर्ग दीवारों में भी इक नयी जवानी बहती है॥
जरा ख़ामोशी से सुनो इस ख़ामोशी की आवाज़ को,
यहाँ की हर इमारत अपनी अलग कहानी कहती है ॥-
शुभ प्रभात प्रिय बंधुओं
छोटों को स्नेह, बड़ों को कोटि - कोटि नमन🙏🙏
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युगों - युगों तक अमिट रहेगी आपकी शौर्य कहानी ॥
जय जय झाँसी की रानी ॥-