रिश्ते में से हक,
और
हक में से रिश्ता
हटा दो
जो शेष बचे
वो "प्रेम" है-
|Author/Bibliophile|
|Positive Thinker/Social Worker|
शायरी शब्द नही सरोकार है... read more
स्त्री को समझना इतना भी सरल कहां है,
वो अपने में एक अबूझ पहेली है और सुलझी भी उसके बराबर कोई नहीं
उलझने में आई तो उलझा भी कोई नहीं,
जब लगेगा की एक सिरा सुलझ गया तो दूसरा उलझ जाएगा,
होने को सीधी सरल नहीं तो अनसुलझा ताना है
स्वभाव से इतनी नरम की मोम से भी जल्दी पिघल जाए,
कठोर इतनी की उसके बराबर भी कोई पत्थर नहीं
प्रेमिका में रूप में शीतल का दरिया तो ममता के रूप में गहरा सागर जिसे जानना कुछ अधिक कठिन
पत्नी व मां दो रूप में बंटी पर नाइंसाफी किसी के साथ नहीं होने देती
प्रकृतिदत्त गुणों से सुसज्जित कि एक साथ कई भूमिकाएं कुशलता से बिना किसी शिकवा- शिकन के निभा जाती है
स्त्री प्रकृति है-
अधूरे प्रेम का बोझ लिए फिरना....
अनायास आई मृत्यु से भी अधिक दुखदायी होता है-
होते है ऐसे लड़के,
जो नहीं रखते जिस्म की भूख
कुछ होते है जो उलझ जाते है तुम्हारी घनी जुल्फों में,
कुछ अटक जाते है दुपट्टे के घुंघरुओं में,
खो जाते है तुम्हारी काजल से सनी आखों में
और ठहर जाते तुम्हारे माथे की बिंदी पर
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"प्रेम" में "भाग्य" का और "भाग्य" में "प्रेम" का होना
अति आवश्यक है,
वरना किसी के हिस्से आती है कभी ना मिटने वाली "व्याकुलता"
तो किसी को हिस्से आजीवन हृदय जलाने वाला "क्षोभ"-
झूठ कहते हैं लोग कि
किसी भी इंसान की जिंदगी,
उसकी अपनी होती है
वह सिर्फ उसकी नहीं होती है....
वो होती है,
उसकी फैमिली की,
उसके आसपास जुड़े लोगों की,
इनकी, उनकी, सबकी होती है
बस उसकी अपनी नहीं होती-
the month
i think I'll
be better
passes
i pick a new
month
it passes
then another
everything
passes by me
at least I'll
get better
I'll get
I'm getting
am i getting
will i
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बिना शादी के लड़कियां ही नहीं
बिना नौकरी के लड़के भी,
घर वालों पर बोझ होते है-
चाहे अपनों के लिए सारे संसार से लड़ लेना
मगर कभी भी संसार की बातों में आकर अपनों से मत लड़ना
क्योंकि संसार कभी साथ नहीं देता है
साथ देते है तो सिर्फ अपने-
"मर्द"
बड़ी प्यारी चीज है
जब उसे,
"सच्चा इश्क़"
होता है ना
वो अपना "सब कुछ"
ना लुटा दे तो कहना-