अक्सर आ जाते है वो बालकनी में
ताकि दिख जाए हमारी एक झलक-
नूर चेहरे से,
छलक रहा है,
आंखों से चेहरा तेरा,
झलक रहा है!
अब तुम ही बताओ पिया,
कैसे छिपाऊँ,
ये प्रेम मैं अपना,
ये अब सबको,
मुझमें दिख रहा है !!-
यूँ ही नहीं हासिल हुआ करती
एक झलक उस यार की ।
जब शौख-ए-दीदार हो
तो नज़रें टिकाये रहना पड़ता है।।-
नाम इश्क है, यह तो, सारा जग, जाने है
इस राज़-ए-नाम से, वो पर्दा तो ज़रा, हटा दीजिए
इक मखमली, पर्दे के पीछे, छिपे हैं जो, वो एहसास तेरे
उन एहसासों का, घूँघट उठा, ख़ुद को ख़ुद से, मिला दीजिए
🎶 नाम इश्क है, यह तो, सारा जग, जाने है 🎶
🎸🎶
बेकार में ही, इश्क को, यूँ इल्ज़ाम, देते हैं ये लोग
आप अपने नाम से, सबको ज़रा, रूबरू करवा दीजिए
फिर ना कोई भी, इश्क पर, यूँ कसेगा ताने
इश्क की, खुबसूरती है क्या, आप ज़रा, सबको बता दीजिए
🎶 नाम इश्क है यह तो, सारा जग, जाने है 🎶
🎸🎶
ज़हमत अगर, कर ही दी है, लिखने की आपने इतनी
तो अपनी ग़ज़ल में, उसके नाम को भी, यूँ पनाह दीजिए
मेहमान बन के, जो रहते हैं, आपके कूचा-ए-दिल में
उनको पक्का मकाँ, बनाने की, वहाँ अब तो, इजाज़त दीजिए
🎶 नाम इश्क है यह तो, सारा जग, जाने है 🎶
🎸🎶
बारिश के मौसम में, आँख मिचोली का खेल, यूँ चलता है यारो
तरसते हैं यूँ आप हमें, ज़रा अपनी, झलक दिखला दीजिए
गली से गुजरते, हो जब तुम, भीगते हैं हम, इक नज़र को पाने
अरे हमें भी, तो अपनी छतरी में, थोड़ी सी, जगह दीजिए
🎶 नाम इश्क है, यह तो, सारा जग, जाने है 🎶
🎸🎶
धीरे धीरे से, चुपके से, सिमटती रहती हैं, ये यादें
इन यादों को इश्क की, इस तंग गली से अब, निकाल दीजिए
दर्द का शोला, यूँ दबा के, राख बिखेर देते हो, जो तुम
कभी तो इस, बारुदे इश्क की, चिंगारी को, हवा दीजिए
🎶 नाम इश्क है, यह तो, सारा जग, जाने है 🎶-
अब इसे तेरी मनमानी कहूँ
या दिल की नादानी
एक झलक देखी थी जो तेरी
आज़ भी याद है!-
देखा जब तेरे आखों के दर्पन में
मेरा ही अंश नजर आया
रूठा रहा मुझसे मेरा खुदा
और उस खुदा में मैंने तेरा ही झलक पाया
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पहरों किसी की एक झलक का इंतजार कर के देखना ,
कभी तुम भी किसी से आंखें दो चार कर के देखना ।।
कैसे पल भर में टूट जाते हैं दिल के रिश्ते ,
गलती तुम एक आध कर के देखना........ ।।
समझना हो गर जिंदगी का फ़साना ,
रेत का घरौंदा तुम बनाकर के देखना.....।।
नफ़रत हो जाएगी तुमको भी दुनिया से ,
मोहब्बत तुम भी किसी से बेशुमार कर के देखना..।।
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Zara mehsus karo,,
Zami se falak..
Kitni masum hai,,
Dharti ki Ek jhalak...
Sakun behta Dariya behta,,
Jese behata Hawao me khushi ki khanak...-
उसके साए की झलक पाने की ज़िद्द में अंधेरों से मोहब्बत तो हो गई,
पर इस अंधेरे में उसका साया कहीं नज़र नहीं आता!
~महक-
Shayari mehsoos to kar
Dard mera bhi mehsoos hoga
Jis tarah mai tadapta hun
Har sham dhalne ke baad ae sakib
Usi tarah tu bhi tadpega ek din
Bss ek jhalak pane ke liye !!
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