मुस्कराते थे वो
आँखों में आँसू लेकर,
खुलकर रोना उनका
शायद उन्हें रास नहीं आया,,
जो उनके हर गम को
आँखों से रिहा कर दे,
शायद, उन्हें मिलने अभी तक,
वो खास नहीं आया,,
दूरियाँ पसंद हैं उन्हें,
बातें भी चाँद से करते हैं,
क्यों उनके हिस्से कभी
कुऱबत का अहसास नहीं आया,,
तारों-से जलते हैं वो
रातों में ठंडा चाँद देखकर,
वो चाँद क्यों कभी
उनके पास नहीं आया,,
वो ख़्वाबों में उलझे हैं
हमें इश्क़ है उनकी हकीक़त से,
क्यों उन्हें अब तलक
हमारे इश्क़ का
कयास नहीं आया!
~महक
-