देखो ना प्रकृति का अलग नज़ारा।
इसने उतराखंड का जंगल फुका सारा अब सब
क्यो मौन हैं, लगता हैं यहाँ सब के दिल में चोर हैं
आस्ट्रेलिया की आग ने सब का दिल दहला दिया।।
लगातर प्रकृति ने अपना असर दिखा दिया।...
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जला हुआ जंगल छुप कर रोता रहा,
लकड़ी उसी की थी उस माचिस की तीली में-
उसने आग तो लगा दी मगर
राख ना किया आधा जला छोड दीया
जुठा इश्क करके उसने मेरा दिल तोड़ दिया-
🌹🌹मेघ बाजे🌹🌹
गढ़-गढ़ -गढ़ -गढ़ में मेघ बजे।
दुल्हन की तरह यूं धरती सजे।।
1. फूलों में बागियों में,
कल-कल बहती नदियों में,
भोंरे और पशु-पक्षियों का मुंह बजे।
गढ़ -गढ़ -गढ़-गढ़...........
2. कुंहुं-कुंहु कोयल बोले,
डाल-डाल पर बंदर डोले,
नाचते गाते और लेते मजे,
गढ़-गढ़-गढ़-गढ़.............
3. पंख फैलाकर वन में नाचे मोर,
तोता मैना कुंज-कुंज कर मचाते शोर,
प्रकृति की शोभा में चार चांद लगे,
गढ़-गढ़-गढ़-गढ़.............
4. कितनी सुंदर होगी वह रात,
जब आएगी चांद तारों की बारात,
इनकी आवर्णनीय आवा के सामने कामदेव स्वयं लजे,
गढ़-गढ़-गढ़-गढ़.............
5. हम धरती मां के आंचल को इसी तरह सजाएंगे,
मरते दम तक हम अपना कर्तव्य निभाएंगे,
हमारी अगली पीढ़ी को भी हम पर नाज लगे,
गढ़-गढ़-गढ़-गढ़............
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हमारी खामोशी उनके शोर
का कारण बन रही थी
पर उन्हें यह नहीं पता
कि चार दिन शेर की खामोशी से
जंगल गीधड़ो का नहीं होता
🅟🅡🅥🅝-
शांत रहने से कुछ नहीं होगा,
न सोचने से होगा,
न सोचकर बैठ जाने से होगा,
कुछ करना भी होगा,
अगर शांत रहोगे तो शांत ही रहे आओगे,
फिर हल्ला कब machaoge,
शांत रहने से कुछ नहीं होगा,
कुछ करना भी होगा.....-
ज़िंदा जंगल
इनमें फड़फड़ाते मिलेंगे...
और आगे
तक पहुँचें तो
कुछ प्रेम-पत्र और दफ़न गुलाब मिलेंगे
लगा के एक रात छाती के सोना
वफ़ा, फ़रेब कुछ दिलकश नज़ारे मिलेंगे
कुछ प्रेमी विरह में पागल
कुछ सफल मिलेंगे...-