उसकी लाप़रवाही और हमारे इंतजार की
दौड़ कुछ इस तरह बढ़ती जां रहीं हैं..
कुछ़ अऱसे याद़ कर हंस लिया़ जाए़ जना़ब ?-
दुआओं का सिलसिला...
जारी रखो साहब...
आज मेरी मोहब्बत का...
जनाजा निकलने वाला है...-
अपने अरमानो के जनाजे को खुद ही कंधा दिया है हमने ,
और लोग कहते हैं कि हमें बोझ उठाना ही नहीं आता..!!!!-
ऐसे भी क्या कुकर्म किए
जो ये सजा मिली
जनाजे को कंधा देने के लिए
चार कंधे ही ना मिल सके-
हमारे रिश्ते की बस चंद साँसें ही बची लगती है
जनाज़े की तैयारी की जाए जनाब!-
कर लो जनाजे की तैयारी
अब मर जाने को जी चाहता है
थक गई हूं इस जिंदगी से
अब खुद को पाने को जी चाहता है
रुक जाओ थोड़ी देर जरा, अपने यारों से तो मिल लूं
बस आखिरी बार माँ को गले लगाने को जी चाहता है
जरा मैं भी तो देखूं कौन-कौन मेरे जनाजे पर आता है
अब बस शांत हो जाने को जी चाहता है
लोगों के लिए बहुत रो चुकी
अब बस लोगों को रूलाने को जी चाहता है
ऐ खुदा कर बस इतनी रहमत कि मैं जी उठूं
अब बस एक बार जिंदगी को हराने को जी चाहता है-
मेरे कफन के लिए लाल जोड़ा मंगाया गया है
मेरी मय्यत को दुल्हन जैसा सजाया गया है
कोई हंसता है तो कोई रोता है जनाजे मे मेरे
मेरी मौत का भी आज़ तमाशा बनाया गया है
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अंदाजा मेरी मोहब्बत का तुम
अब इस बात से लगा लेना कि
बेसाँस हो गए हैं फूल सारे जनाजे के मेरे
मग़र जो रखा था फूल गुलाब का किताब में
उसकी खुशबू आना आज भी जारी है....-
ना जाने कितने ही शब्दों का जनाजा उठेगा जिस दिन तुम्हारी बेवफ़ाई लिखने मैं लगा!!!
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बो आए मेरे जनाजे पे
ओर दो बूंद आंसू बहा गए,
जाते जाते बो आप्ना फोन नंबर
मेरे दोस्त को दे गई....!-