नहीं मिलता ज़मीर बिक जाने के बाद ना ही मिलती ज़मीन ये कर लो यक़ीन
वो सब कुछ बना रहा दे रहा सिवाय जमीन और ज़मीर खो के पाने के मौके हसीन-
29 AUG 2019 AT 11:32
25 DEC 2020 AT 7:42
मरना क्या है? लोग पल पल मरते हैं
कुछ लोग मर कर भी ज़िन्दा रहते हैं-
13 JUN 2021 AT 20:53
पूछा हाल शहर का, तो सर झूका कर बोले
लोग तो जिन्दा है, जमीर का पता नही...-
16 APR 2022 AT 13:12
पनाह की दरखवास्त में उम्मीद उन्ही से कर बैठा।
जिन्हें क़ुबूल नही था मेरा ज़मिंदोज़ शेहरा अनिल।-
8 AUG 2019 AT 10:25
ये दिल भी रोया आपको याद करके
मालुम हुआ इस दिल का ज़मीर कितना जिन्दा है
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26 JUL AT 1:48
दफना कर मुझे जिंदा
वो मुझे नीलाम कर बैठे हैं,
वो मेरी जमीन का हिसाब मुझसे मांग बैठे हैं,
सांसें कर्ज सी और किरदार शर्मिंदा सा,
वो मेरे जनाजे का हर कंधा बेच बैठे हैं,
कहीं लिख के तो कहीं मिटा के निशान मेरे,
वो लफ्जों के साथ अपना ज़मीर बेच बैठे है,
कहीं शिकस्ता है हस्ती
तो कहीं निशान नहीं वजूद का,
वो ढक के चेहरा अपना लिबास बेच बैठे हैं |-