कैसी उलझी बातें हैं ये,
कैसे फासले हैं ये बता
तू भी मेरी, मैं भी तेरा
फिर भी जुदा है, क्यू बता
क्यू बता,
तू थी वहीं पर, मैं था जहां
फिर भी मिला ना क्यूं हमको मुकाम
बादल थे उड़ते, नदियाँ थीं बहती
बस हम दोनो ही, क्यू थे ठहरे वहा
दस्तक से मेरी तू पहचान ले मुझको
पायल की छन — छन से जान लू मैं तुझको
दूर-दराज़ की दूरी भी नहीं
फिर जाने ये मजबूरी है क्या
क्यों हम तुम हुए हैं जुदा
क्यों बता- क्यों बता
एक दिन तो तू वापस आ
और बता-
नायाब मेरी नज़्मों पे
खर्च ये रातें की हैं
अक्सर तनहाई ने जब मुलाकातें की हैं,
करूं मैं
तुझ से क्या ही तेरी तारीफें अब
मैने जिस पन्ने से की हैं बस तेरी बातें की हैं |-
कुछ तो कर अनुराग देर रात हो गईं
ऐसा भी क्या गम क्या बात हो गई
वो जो एक
चेहरा तू कभी भूल नहीं सका
ऐसा भी कौन था क्या खुदा से मुलाक़ात हो गई
हमने ही खुदा से मिलवाया
हमको ही दुर कर दिया
ये कैसा इन्साफ ए खुदा
ये कैसी बात हो गई|-
Oh chhann vi
taan hasd ae hun mere te
ki hoya tere chann to vi sohne yaar nu.
main mere kamle dil naal la'da
kyu kitta ohda enna zada intezaar tu ?-
नहीं था चांद वो मेरी रात का तो
हर रात सवेरा था
सही था बांध के दिल को रखना
जो टूटा लाख बिखेरा था,
करीब था वो किसी और के
दिल क़ुर्बान तो मेरा था
नसीब था वो किसी और का
लेकिन प्यार तो मेरा था |-
कहानी उसकी भी है
लफ़्ज़ मेरा जहा ना जयाज़ है
कहानी उसकी
में एक शख़्स मेरा कितना जयाज़ है
मैं हिसा मेरा लिख बैठा हु नाम पे उसके ,
हिस्सा उसका भी लिखना
मेरे खातिर क्या जयाज़ है ?
— % &रूहानी बातें और ये तराने हैं,
तभी हम शायर हैं |
सुहानी रातें और ये नज़ारे हैं
लिखना जायज़ है
पुरानी यादें,
दिल के ठीकाने फिर भी कुछ गायब है
कहानी मेरी में हम हैं तुम्हारे
पर तेरी में हम शायद हैं |— % &-
तेरी हंसी
की गूंज आज भी सुनाई देती है,
तू नहीं है मेरे साथ फिर भी दिखाई देती है,
किस बात पे फिदा हो रखी है मेरे को
अपना घर छोड़ मेरे दिमाग को घर बना बैठी है |-
मिला जो खुद
अपनों से कैसे ज़ख्म पराया होगा,
वो लिया जो खुद इस दिल से कैसे मरहम बकाया होगा,
जो वादा था हम से प्यार का
वो उस से तो निभाया होगा
वो जैसे हमें सताते थे क्या दूजे को भी सताया होगा?-
मेरी मंजिल क्या है
एक वारी मुझे इतना पता दे दो
फिर चाहे उस तक ना जाने की लाख खता दे दो |
मंजिल राह मेरी देखती होगी,
जाने की एक रजा दे दो,
मैं पूछ जाऊंगा वहां,
मुझे बस वक्त जरा दे दो |
— % &तरस चुकी है मेरी निगाहें,
अपने असली दीदार को
नकली दुनिया से हो दूर कहीं कोई ऐसा जहां दे दो
अरसे से जिनको ढूंढ रहा वो खुशियां कहां, दे दो |— % &है लगता है मेरी बस वही,
मैं जिस भी रास्ते से अब जुड़ जाऊं
राह भी अपनी राह बदल ले,
वो भी मुड़े जो मैं मुड़ जाऊं |— % &-
दुनिया से इस नाम का दिल को
पेहरा मिल गया जैसे
साथ बिताया वक्त कभी जो
ठहरा मिल गया जैसे |— % &हमने प्यार लिखा,
हर बार लिखा ये लिखता दिल गया ऐसे,
के नज्मों को
मेरी तो अब तेरा चेहरा मिल गया जैसे |— % &-