Anurag Singh   (अनुराग)
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Jammu and Kashmir
Joined 15 May 2023


Jammu and Kashmir
Joined 15 May 2023
YESTERDAY AT 8:54

इस दौर में भी हम तुम्हारी नज़रों से
महोब्बत का पैगाम पढ़ लेंगे

आप इज़हार-ए-इश्क तो फरमाइये
हम अपनी महोब्बत को बाहों में भर के
दुआओं में भी शामिल कर लेंगे |
— % &वो जमाना गुजर गया जब अपनी महोब्बत को
गुलाम दुनिया बनाई करती थी

आप इज़हार-ए-इश्क तो फरमाइये
हम अपनी महोब्बत को जुनून में भर के
फितूर से ही काबिल कर लेंगे |

— % &कल का दौर धीरे—धीरे गा कर अपनी महोब्बत का
इंतजार करता था

आप इज़हार-ए-इश्क तो फरमाइये
हम अपनी महोब्बत को सुकून में भर के चाँद
के नूर को भी अपनी तरफ कर लेंगे |

— % &आज का दौर बस खौफ में जी रहा है
महोब्बत को ले कर

आप इज़हार-ए-इश्क तो फरमाइये
हम अपनी महोब्बत को जीने का सालिका तुमसे
तुम्हारी तकदीरों से भी खींच लेंगे |— % &

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31 JUL AT 21:42

मेरी आँखों में कुछ आज नमी सी है
तुम से मिलने की थोड़ी कमी सी है |

मुझे मुलाकात करने की एक तड़प भी है
और तुमको पाने की झड़प भी है |— % &मुझे मौका नहीं मिला तुमसे मिलने का
आज एक गहरा घाव हूं मैं तुझमें जीने का |

मैं प्यार में नहीं प्रेम रहना चाहता हूं
एक अफ़वाह भी हू जो खो कर तुझमें लिपटना चाहता हूं|
— % &मुझे राज़दार बनकर तुझमें
शाम की तरह खोना है |

गुजारिश है बस इतनी सी मुझे जल्दी ही तेरा होना है
जुनूनियत की जिद्दी जिद्द बनाना है तुझे

अपनी आदतों कि तरह उनमें दफ्न होके रोना है|— % &मेरी किस्मत में तुम दुआ बनकर आये

आज हाथों की लकीरों में भी
तुझे सुई धागे की तरह पिरोना है— % &मेरी रूह को तेरी खामोशी से संजोना है
तुम मेरे खिलते रंगो में रंग जाये इस कदर
तुझमें मुझको सोना है |— % &

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30 JUL AT 21:38

जिंदगी से रहेगी शिकायत यही,
जो मिला वो क्यों मिला,
जो ना मिला क्यू वो मेरा ना था |

— % &थी क्यों फिर ख्वाहिश मुझे,
मेरे नहासिल की जो भी मिला,
बेख़ूब मिला क्या ख़ूब मिला |— % &

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30 JUL AT 20:28

एक खामोशी सी
छा जाती है बारिश थम जाने के बाद

में तनहा हो जाता हू तेरे चले जाने के बाद |

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30 JUL AT 1:53

वो
नम सी आंखों में खुशियों की बारिश हुई है,
वो दर्द की गहराइयों की गली में
चांद की रोशनी हुई है,

इंतजार के सारे पन्ने पे
अब तो सुकून की स्याही गिरी है |
— % &हर वो खामोशियां को
जैसे एहसास के लफ्ज जो मिल से गए,
जो दुआ ए इश्क किया था
उनको जैसे अल्फ़ाज़ मिल से गए,

वो माज़ी की यादों में खोए हुए हमसफ़र
को जेसे मंज़िलो की रहगुजर मिल जो गई है,
वो तन्हाई की चादर में,
ख़ुशियों का शामियाना सा मिला है,
— % &अब तो वो दूर होके भी
परछाई बन के साथ जो दे रहे,
हर एक कश्तियों को जैसे
अपनी मंजिल जो मिल सी गई है,

ऐसा लग रहा है
जैसे जिंदगी अब जीने की शुरुआत जो हुई है,
अभी तो इश्क हुआ है |
— % &

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30 JUL AT 0:35

ये चाँद,
मुखड़े के सामने तुम्हारे,
एक सितारा है,

चमक रहा जो हज़ारों तारों के बीच,
वो चेहरा तुम्हारा है,
एक मुस्कुराहट तुम्हारी,
हज़ारों तारों का उजाला है |

तारीफ़ और ही क्या करे,
इस जहा के ख़ूबसूरत शब्द सारे,
निसार है तुम्हारे आगे |

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29 JUL AT 21:03

दुनिया की
नजरों में आज बीमार हूं,
लगता है अपनी ही सोच का शिकार हूं |

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28 JUL AT 21:00

लिखता नहीं था
पर तुझे देख के लिखने लगा हु
तेरी हर अदाओं पर मरने लगा हु |
कभी बनता संवारता नहीं था
अब तेरे लिए भी करने लगा हू |

तेरी गलियों
से मेरा कोई वास्ता ना था
पर अब तेरी
गलियों से गुज़रने के बहाने ढूंढने लगा हू |

सोचता हूं
एक आशियां बना लूं तेरे कूचे में
पर तू कहीं बदनाम ना हो जाये
इस बात से डरने लगा हु |

निकलती है तू बन सवर के
तो बस लगता है पल थम गया
लगे ना तुझे जमाने की नज़र
इस तरह से तेरी बलाए उतारने लगा हु |— % &संभल के निकलना
बदलो की नज़र भी तुझ पे है
बरस ना जाए कहीं बिन मौसम
इस खातिर छत्री के साथ लेके चलने लगा हूं |

नहीं कहता तू जोगन बन जा
क्योंकि कान्हा तो ना बन पाऊगा

पर तेरी चाह को पाने की खातिर
अब मुरली की धुनो में रमने लगा हू |

लिखता नहीं था
पर तुझे देख के लिखने लगा हूँ
तेरी हर अदाओं पर मरने लगा हूं

कभी बनता संवारता नहीं था
अब तेरे लिए भी करने लगा हू |— % &

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27 JUL AT 19:32

क्या दोष दू तुझे
मेरे लफ्ज ही मुझसे बेवफाई कर रहे हैं |

लिखता तेरी बैगैरियत पे हु
तो मेरे शेर क्यू तेरी वाहवाही कर रही है |

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27 JUL AT 13:02

वो ख़ुशी भी उसकी थी,
ये दुःख भी उसका था

मुझमें मेरा कुछ नहीं
वो नज़्म भी उसकी थी, ये शेर भी उसका था |

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