Asha Dubey   (आशा✍)
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Joined 16 May 2020


Joined 16 May 2020
7 JUL 2020 AT 15:31

हमें खुद की कीमत खुद ही तय करनी होंगी वर्ना लोग तो अपनी दिखाएंगे ही
खुद ही अपना उसूल स्वयं बनाये
वर्ना दुसरो के वसूलो मे हमें चलना पड़ेगा

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16 JUN 2020 AT 21:25

कभी गर्म गर्म
कभी सख्त सख्त
कभी नर्म नर्म

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8 JUN 2021 AT 12:04

बात आज से 5 महीने पुरानी है
मैं रायपुर mo बनवाने गई थी मुझे
1 हजार की जरूरत थी मैं अपनी
नानी से पैसा मांगी तो बोली कि बड़ी
भाभी को दी हूं मेरे पास नहीं है
शाम हो गई थी मुझे बस में अपने
घर निकलना था फिर भाभी ने पैसे दिए
बोली दीदी ये मेरे पैसे है मैं सुनी
जो कि जल्दी बस में घर जाना था
रात में बस में8 बज जाते mo दुकान
में जाकर mo ली नानी89 साल की
झूठ बोल रही थी अपने जिंदगी में
सत्य थोड़ा ना थोड़ा जरूर रखिये
क्योंकि आपके मरने के बाद आप
सुन नही सकते कर्म नही कर सकते
राम नाम सत्य है

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30 APR 2021 AT 10:59

हमारे भी ख्याल कुछ ऐसे ही थे
दुनिया की फितरत से वाकिफ ना थे
जब ठोकर खाई तो अहसास हुआ
कोई भी हमारे पास ना हुआ
पापा कहते रहे बेटा विश्वास ना करना
धोखा खाते रहे और सीखते चले गए
पापा की बात ना मानकर गलती करते चले गए

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22 APR 2021 AT 1:32

हाँ
पर दिखावे के लिए निकलते हैं
कुछ आंसू

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8 APR 2021 AT 21:57

बाजारू इसलिए बोलते हैं क्योंकि अपनी
नामर्दी दिखा नही सकते ना अहसास है उन्हें भी इस बात का

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4 APR 2021 AT 17:40

होली
सब चाहते थे कि मैं रायपुर जाऊ
और होली खेलूं आंनद लू इस होली
पर्व का पर वर्तमान में होली के साथ
साथ देश में कोरोना भी तेजी
से फैल
रहा है बहुत से लोग
खत्म हो जा रहे है
सोचती हूँ जो फौजी भाई हमारे लिए
बहुत साल तक होली नही खेल पाते
आज भी हमारी सुरक्षा के लिए
बाहर दिन रात खड़े हैं मेरे
एक साल से ज्यादा उनका
बहुत साल है मेरा होना मायने रखता है
मेरा होली खेलना नही
जय हिंद जय भारत

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27 MAR 2021 AT 11:20

कोई आश्चर्य नही होता इन बात से
हर कोई छोड़ देता है साथ
कोई दूसरा मिल जाने से
इसलिए किसी का होकर रहना है
तो माँ पापा के बनकर रहो

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19 MAR 2021 AT 13:22

काश तुम्हे यह पता होता
मैं मृग और तुम मरीचिका हो
मुझे हो रहा एक दृष्टि भृम था
सूखा हुआ दिखता क्यों नम था
क्यों आशा होकर घूमिल कर रही थी
जो मिल ना रहा क्यू फरियाद कर रही थी
क्यूं झूठी कशिश में खोती रही मैं
क्यू अनजान सी फिरती रही मैं
जितना चली उतना ही व्यर्थ हुआ
मेरा सपना कभी ना सच हुआ
क्यू अकारण ही तुम्हे अपना मान बैठी मैं
क्यों सत्य को ना पहचान सकी मैं
पर अब अपनी छवि खोना नहीं चाहती
उस पथ पर अब चलना नही चाहती

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11 MAR 2021 AT 13:36

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