SHRIKANT KHARE   (SHRIKANT KHARE)
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Joined 14 April 2018


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Joined 14 April 2018
25 MAY 2022 AT 22:32

अब चाह नहीं है मुझको यूँ रोने धोने सोने में
तेरी चाह बस गई जब से मेरे दिल के कोने में

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21 JAN 2022 AT 18:57

मरना एक कला है,
इसलिये तुम पर मरते हैं
अब मालूम नहीं प्यार
करते या नहीं करते हैं

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26 DEC 2020 AT 22:21

प्यार की राह पर दो कदम क्या चले ज़माने के सुर बदल गये
कल तक जो दुश्मन रहे मेरे आज वो कलेजे से ही लिपट गये

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18 JAN 2022 AT 17:08

क्या जिन्दगी है बचपन की दोस्ती तोड़ दी
जरा दौलत क्या पाई मोहब्बत ही छोड़ दी

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18 JAN 2022 AT 17:01

जरा बचके रहो इनसे इन्हें नज़र लग जायेगी
धोखे गिनाऊं इनके तो किताब लिख जायेगी

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17 JAN 2022 AT 18:36

दिल में चुभे हैं अनगिनत काँटे
फिर भी धड़क रहा है
खुश रहना मेरी आदत है
इसलिये चेहरा दमक रहा है

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12 JAN 2022 AT 13:42

जुल्फो-जाल में फंसा रही या लजा रही हो
सच - सच बताओ क्या - क्या छुपा रही हो

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8 JAN 2022 AT 22:43

प्यार करते हो या मेरे दीदार की चाह रखते हो
चिराग मेरी लहद पर आशिकी गैर से रखते हो

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8 JAN 2022 AT 18:14

उनके प्यार में इस कदर पागल हुये
फूल की चाह में कांटों से घायल हुये
ग़ज़ब इतना हुआ भ्रम के शिकार हुये
ना वो मेरे हुये ना कभी हम उनके हुये
संग रहने से क्या फायदा
मेरी चाहत और है उनकी चाहत कोई और है
मुसीबत की जिंदगी हमें ठौर है न उन्हें ठौर है

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8 JAN 2022 AT 17:50

उनके प्यार में इस कदर पागल हुये
फूल की चाह में कांटों से घायल हुये
ग़ज़ब इतना हुआ भ्रम के शिकार हुये
ना वो मेरे हुये ना कभी हम उनके हुये
संग रहने से क्या फायदा
मेरी चाहत और है उनकी चाहत कोई और है
मुसीबत की जिंदगी हमें ठौर है न उन्हें ठौर है

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