कर दिया इंतज़ाम उसने दिल को पूरा जलाने का,
अब ये सर्द रूत आराम से तापते तापते निकल जाएगी..!!-
आज तुम्हारे झूठे ख़त जलाने चला हूँ
या कहूँ की खुद को आज़माने चला हूँ
यूँ न खेलना फिर किसी के जज़्बात से
आज तुम्हारी तमाम यादें मिटाने चला हूँ
मैं शायद ही अब यकीं करूँ किसी पर
तुम्हारी हक़ीक़त तुम्हें दिखाने चला हूँ
हर कोई खेलता नहीं है मोहब्बत में
मैं समझता हूँ तुम्हें समझाने चला हूँ
गर किसी भी पल तुमने चाहा था मुझे
उस पल की कसम तुम्हें भुलाने चला हूँ-
मुझे जलाने की खातिर लेकर आया वो रकीब को साथ अपने,
मुझे मुस्कुराता देख साहेब खाक हो गए उसके सारे सपने,-
इतना सज-सवर किसे भला , लुभाने चली है तू ,
मेरा दिल तोड़ अब किससे दिल लगाने चली है तू ?
कल चौक पे मैंने कुछ मुस्कुराते लड़के देखे थे ,
बता दे उनमें से किसे अब रुलाने चली है तू ?
क्या जरुरत थी मेरी गली में फिर से आने की ,
क्या इस मरे हुए को अब , जलाने चली है तू ?-
Tum mere ho kaho to sabko bata du kya ?
Mujse jalne walo ko thoda aur jala du kya? 😎🔥-
माना कि तुम मुझे हमराज़ बनाने की ख़ता फिर कभी नहीं करना चाहते
पर यक़ीन मानो काफ़ी ख़तों को जलाने की गुस्ताखी हमने भी कर रखी है
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जलाने बैठे जब उसके दिए खतों को हम
उसके नाम के पास आकर राख रूक गई-
दिल मेरा गीला कोयला हो जाये
दिल जले तो न धुंआ हो न राख
दिल जलाने वाले को
इस बात का सदमा हो जाये।
फ़िरदौस-
समय की रफ़्तार रुक गयी होती,
शरम से आँखें झुक गयी होती,
अगर दर्द जानती शम्मा परवाने का,
तो जलने से पहले ही वो बुझ गयी होती।-
ये जो दिलो में अंधेरे के जंगल बसा रखे है
मेरा मकसद इन्ही जंगलो को जलाने का है-