Galti karna aur galati hona
Do alag baatein hai
Mafi galti ki hoti hai
Galt ki nahi 💓💯-
🥳 born day 15 july.
Yaha tak aagye 😮
Suno... Dil ki sacchi hu..
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Chai ☕ peene main..
Maaza hai.. 😘😘
Par lbsnaa ke..
Cup ☕ me chai..
Peene ki maza hi kuch aur hai 😍💯❤-
कोई हमारी गलतियाँ निकालता है
तो हमें खूश होना चाहिए
क्योंकि कोई तो है जो हमें पूर्ण
दोष रहित बनाने के लिए
अपना दिमाग और समय दे रहा है ।😊
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तेरी खुशबू मुझे महका जाती है, तेरी हर बात मुझे बहका जाती है...
सांस को बहुत देर लगती है आने में, हर सांस से पहले तेरी याद आ जाती है...
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Mohabbat dono ki thi... Lekin..door jane ka fesla keval tera tha....
Pass sb kuch tha tere magar..door jane ka fesla tera tha..
In adaton.. Ko hmne bnaya tha...
Magar inse yu.. Rukh bdl kr jane ma fesla tera tha...
Khoob...smjhaya tha...
Lekin... Ek galatfahami k chlte...
Door jane ka fesla.. Keval tera tha
Khaamoshiyaan kbhi... Ayi. Nhi jb sath thd hm...
Magar in muskurate palo se door jane ka fesla tera tha....
Bevjh.. Yu jane ka fesla tera tha✨🥀
Hmse juda hone ka fesla tera tha...
Yu dosh na de...hr kisi ko..
Kyuki.. Juda hone ka fesla tera thaa
....🥀✨❤
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अपने दिल को हमने कब्रिस्तान बना रखा है,,
मुहब्बत के रिश्तों को एक कोने में दफना रखा है.......
तुमको एक जगह कब्र हमारी भी मिल जाएगी,,
मैंने जीते जी ज़िंदगी को श्मशान बना रखा है.......-
फरिश्ते भी अब कहाँ जख्मों का इलाज करते हैं,
बस तसल्ली देते है कि अब करते है, आज करते है......
उनसे बिछड़कर हमको तो मिल गयी सल्तनत-ए-गजल,
चलो नाम उनके हम भी जमाने के तख्तों-ताज करते है......
नए चेहरों में अब पहली सी कशिश कहाँ है बाकी,
अब तो बस पुरानी तस्वीर देखकर ही रियाज करते है......
और एक दिन राजनन्दनी ने आकर ख्वाब में ये कहा,
शायरी करो रोशन यहाँ बस शायरों का लिहाज करते है......-
Ab wakt yu bit ta jaa rha hai..
Jin lamho ko rokna chah hmne.. Unhe.. Ye hmse door le ja rha hai🥀
Kre.. To kya.. Kre.. Is kambakht wakt ke.. Sath...
Jo..
Jeete jee.. Hme.. Andar hi andar se.. Khokla kare ja rha hai-
मेरे ख्यालों में कोई रहता गुमनाम.... यानी कि तुम.
दुनिया में मशहूर मोहब्बत का नाम.... यानी कि तुम .
सागर किनारे एक शुनहरी शाम....यानी कि तुम.
हजार तकलीफों का इकलौता आराम.... यानी कि तुम...!!😊-
इक मज़हब हैं मुझ में भी
थोड़ा अदब हैं मुझ में भी
गुरुर मैं करता नहीं हुन्नर पे
इक आफ़ताब हैं मुझ में भी
जलता भी हैं बुझता भी हैं
इक महताब हैं मुझ में भी
तुम्हें क्या बताए हाल-ऐ-दिल
कुछ जज़्बात हैं मुझ में भी
हस के टाल देता हूँ बातें मैं
वो काबिलियत हैं मुझ में भी-