QUOTES ON #ITTEFAQ

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6 JAN 2022 AT 23:22

इतफाक-थी-मोहब्बत

इतफाक से मिले दोनों,
मुलाकातो से करीब होने लगे,
नजरे उसको ही ढूंढती थी,
नज़र चुरा भी रहे थे,
दिल मे था जो प्यार बड़ी मुश्किल से छिपा रहे थे।
एक दूसरे के लिए कसमे - वादे खा रहे थे,
दिल की तसल्ली के लिए मिलने के बहाने ढूँढे जा रहे थे।
शायद रास ना आई ये बात किस्मत को जो दूर होने लगे,
भूल कर एक दूजे को अपनी जिंदगी मे मसरूफ होने लगे।

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19 MAR 2020 AT 10:55

मेहज़ एक इत्तेफाक नहीं था वो जनाब,
जब जनम लेते ही मां का दर्द बच्चे को भी रुला गया ।

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18 JUL 2020 AT 18:43

Tujhse ishq hona khuda ki marji thi...
Tum ise kabhi Koi itefaaq na samjhna..

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5 MAY 2020 AT 23:36

डायेरी का आखिरी पन्ना ही तो उसका मूल
धार होता है ,सजा कैसी फिर कवी को
उस पन्ने से ही सच्चा प्यार होता है

ईश्क की दहेलीज पे तो रूठ्ते
मनाते और फिर रूठ जाते ये ही
तो प्यार का खूबसूरत अंदाज होता है

ये पर्वतों को प्यार से चूमती हुई हवा
और ये बादलों से गिरते हुए मोती
और ये हसी तुझे खुश कर देती है

हम खूब समझते हैं तेरे दिल की हर
बात को, पर क्या करें एक दूसरे का साथ
कभी किस्मत को मंजूर नही होता हैं

_ 💕Mala💖💞




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मेरी डायरी के आखिरी पन्ने पर तेरा
नाम लिखकर लाजमी है सजा
उन खाली पन्नों से होकर गुजरना

कभी रूठना कभी मनाना मगर
हमेशा साथ रहना अच्छा लगता है
दोनों का इश्क की दहलीज पर चलना

खुशी देता है पर्वतों को चूमती हवा
और बादलों से गिरते मोतीयों को
चुन चुन कर तेरी झोली में भरना

यार समझा करो दिल की मजबूरी
तुम अपने हो गैर नहीं, क्या यही लिखा है
किस्मत में छुप छुप कर आहें भरना

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4 JUN 2020 AT 1:00

इश्क़ चख लिया था इत्तेफ़ाक़ से
जुबाँ पर आज भी दर्द के छाले है

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9 SEP 2020 AT 10:36

हार और जीत महज़ इत्तेफ़ाक़ की बात है,
नादान कमजोर दिल ने मुक़ाबला तो खूब किया...!!!

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10 MAR 2018 AT 10:03

Ittefaq tha ek mazak tha
tera mera naam

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26 SEP 2018 AT 23:37


अजीब से इत्तेफ़ाक़ में
मिलता गया वो मुझे
मलाल ये था कि उसी को
नसीब मान लिया हमने

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23 OCT 2022 AT 11:13

ना हम जैसी है  और ना  ये तुम  जैसी है
कोई क्या  समझ पाये  ये अंजुम कैसी है

कानों में आकर  जो एक मिठास घोल दे
ख़ूबसूरत  सा   नग़्मा-ए-तरन्नुम  जैसी है

दिल  में है  सुकून-ए-एहसास का बगीचा
आँखों में हया लबों  पर तबस्सुम जैसी है

ख़ामोशी में भी  देखो नटखटपन बेशुमार
खूब अंदाज़ में  तर्ज़-ए-तकल्लुम जैसी है

स्याह रात  में भी  चमक  होती  नहीं कम
दूर आसमान के गोद में ये अंजुम जैसी है

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