किसी इंसान की कीमत तब पता चलती है, जब वो हमसे बहुत दूर हो जाता है...!
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Jab kisi ko jarurat se jyada waqt diya jata hai
To log aksar waqt or insan dono ki keemat bhul jate hai-
रुपये और रिश्ते
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अंतर्मन माया- मोह घिरा और भूख़ -भूख़ चिल्लाता है ..!
दौलत की आपा -धापी में , हर -रिश्ता हाथ से छूटा जाता है ..!
झूठीं खुशियों से खुश होकर, खुद को वो फुसलाता है ..!
अपने -गैरो की फ़िक्र नहीं , सब भ्रम है वो जतलाता है ..!
रुपये -शौकत और शान -भरा , फिर भी ग़म में डूबा जाता है.!
लूटता सुकून और चैन तो क्या ? एहसास कहाँ हो पाता है ?
भाई होकर भी भाई का लहू भी ये पी जाता है ...!
लोक -लाज की फ़िकर नहीं रिश्तो पर दाव लगाता है..!
सम्मान कहाँ ? अपमान कहाँ ? यह फर्क नहीं तज़ पाता है ?
इंसान ही है या फ़िर मशीन , ये तर्क नहीं समझाता है ?
अपना -अपनों का दुश्मन है , यहाँ फ़र्ज़ किसे दिख पाता है ?
अंतर्मन माया -मोह घिरा और भूख़ -भूख़ चिल्लाता है ...???-
चीज़ों की कीमत
मिलने से पहले होती है
और इंसान की कीमत
खोने के बाद....
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पास होते हैं जो लोग,
उनके होने का हर पल अहसास होता हैं।
चले जाते छोड़कर तो बस,
उनके होने का अहसास ही मेहसूस होता हैं।-
मेरी क़ीमत लगाने वालों ने भी मुझे ख़रीद न सकें,
मगर तुम चाहो तो,मैं मुफ़्त में तुम्हारा हो जाऊंगा।-
Bade Ajeeb log he.
Jo unke pass he uski koi
keemat nahi.
Or jo door he uski
haanji haanji kar
Rahe he.-