यूं ही नहीं याद आते है
अब वो बचपन के दिन..
जिंदगी के बोझ से तो
हल्का ही था वो स्कूल बैग..-
ՏHIV Prabhat
(Shivalka)
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शिव अलका त्रिपाठी
Joined 26 March 2020
23 SEP 2022 AT 10:37
21 JAN 2022 AT 20:55
तुम्हे ना देख कर कबतक सबर करूँ.
आँखे तो बँद कर लूँ पर इस दिल;
का क्या करूँ. Miss u
-
11 JAN 2022 AT 10:39
अकेलापन क्या होता। है कोई ताजमहल से पूछो
देखने सब आते। है रहने कोई नहीं-
11 JAN 2022 AT 10:34
मिले जो फुर्सत तो
आयेंगे और पिएंगे जरूर
सुना है चाय बनाते हो। तो
गली महक उठती। है-
11 JAN 2022 AT 10:30
ये जिंदगी। है जनाब
यहां बादाम खाने से
इतनी अक्ल नहीं आती
जितना धोखा खाने से
आती। है-
11 JAN 2022 AT 10:27
तुमसे ही रूठ कर
तुमको ही सोचना
मुझे तो ठीक से नाराज़
होना भी नहीं आता-
11 JAN 2022 AT 10:21
साहब
घायल तो यहां
हर इक परिंदा है
मगर जो फिर से
उड़ सका वहीं जिंदा
है-
20 DEC 2021 AT 20:08
जिंदगी को अगर बेहतर बनाना है
तो दर्द को छुपाना होगा और गम में
मुस्कुराना सीखना होगा !-