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AnVi
(अnVi)
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Joined 19 June 2020
YESTERDAY AT 12:53
वो ठुकराता रहा ! हर बार , और मैं
रास्तों में पड़े पत्थर के ...
चुभते हुए टुकड़ो की तरह
हर बार उसके मंज़िल के बीच आती रही !-
11 JUN AT 4:22
सारा दिन गुज़र जाता है
कोशिशों पर '
खुद को समेटने में !
शाम ढलते ही रात के पहलू में
फिर से बिख़र कर सब कुछ
राख़ हो जाता है !-
10 JUN AT 3:42
हालातों से हार कर
बिखरा हुआ वक़्त
बदल ही जाता है !
और फिर ...
ठहर नहीं पाता वो
जो हमसे होकर
एक बार गुज़र जाता है !
आख़िर में वो भी ...
बिछड़ ही जाता है !-