मज़हब के नाम पर कुछ लोग मुल्क बांटने चले थे जनाब,
वो भूल गए कि यहां इन्सानियत का धर्म सबसे पहले आता है ।-
पत्थरों के बीच हीरा ढूंढने की कोशिश में हूं जनाब,
मैंने सुना है इन्सानियत अभी भी बाकी है लोगों में ।-
किस बात का वो गरीब है?
जो अपनी भूख को भूल.......
.... दूसरो की भूख मिटाता है-
अस्पताल की अंधेरी चौखट पर ,आज गजब का इमान देखा..
जब हिंदू को खून देने वालों में , सबसे पहले मुसलमान का नाम देखा..-
हर इंसान को इंसान कहने का रिवाज़
खत्म कर देना चाहिए..
अगर इन में इंसानियत की ज़रा भी समझ होती
तो शायद आज आसिफा हम सब के बीच होती..-
ऐसा क्यों?
हमारा समाज रेप मत करो कि बजाय
रेप से बचो सिखाता है।
एक पोर्न स्टार को इस सेलेब्रिटीज का दर्जा तो दे देता है,
पर एक रेप पीड़िता को आम इंसान का दर्जा भी नहीं दे पाता है!!
क्यों?
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रो पड़ा दिल उस दिन
जब किताब कि जगह
चाय कि केतली थामे
नन्ही सी हाथों को देखा।-
Hota nahi Jahan bhi shariyat ka faisla, jhukta nahi Kabhi momin ka sir wahan
Barbad na kar isko agar hosh mand hai, Na tere Na mera
Ye Hum sabka watan hai-
किसी के साथ बुरा हो रहा हो
और आप कुछ ना कहो ना
तो इंसानियत में गूंगे हो आप
किसी के बहते हुए आँसू
देख कर भी अनदेखा करदो ना
तो इंसानियत में अंधे हो आप
कोई मुसीबत में फँसा पुकारें
और आवाज़ सुनाई ना दे ना
तो इंसानियत में बहरे हो आप
पढ़ लिख कर कभी किसी के
मदद के लिए हाथ ना बढ़े ना
तो इंसानियत में अनपढ़ हो आप
अमीर होकर भी जरूरतमंद को
देने के लिए जेब से पैसे ना निकले ना
तो इंसानियत में गरीब हो आप-
हिन्दू भी दिखता है,
मुसलमान भी दिखता है,
पर अफसोस की अब मुझे ,
इंसान नहीं दिखता है..........-