फैमिली और साइलेंस
केवल चार मेंबर फैमिली में ,फिर भी ना बोल एक दूसरे से..
मॉम डैड काम में बिजी, बच्चे अपने फोनो में .
इंसानों की जगह बाते अब तस्वीरो से कर जाते है..
बाते जुबान पर आकर भी क्यों होंठ नहीं खुल पाते है?
खाने की टेबल पर चम्मच की आवाज और खामोशी है।
हंसते हैं गैरों के साथ,पर घर पर नियम वही सख्त क्यों हैं?
दोस्त का हाल पूछने उसके घर तक चले जाते हैं।
किस को क्या तकलीफ है घर में,यह जानना नहीं चाहते हैं।
अपनों को हमेशा परायो से तुलना करते हैं।
बिना हमारी बात सुने क्यों उनकी बात का भरोसा करते हैं?
गलती किसकी पता नहीं
अपनों के पास अपनों के लिए भी समय नहीं है।
घर की बात बाहर वालों से पता चलती है।
घर में 'क्या बात है' कभी कोई पूछता ही नहीं।
हम भी सब बताना चाहते हैं,
बाहर नहीं, घर में दोस्त बनाना चाहते हैं,
फुर्सत में नहीं,फुर्सत निकालकर हमसे भी बात करो ना
हर बार काम से नहीं,कभी बिना काम के भी बात करो ना।
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