वफ़ा ही क्यों चाहता है?
बेवफाई मिले तो टूट क्यों जाता है?
दिल लगा अगर किसी से
तो उम्मीद क्यों लगाता है?
दिल के बदले ये......
दिल ही क्यों चाहता है?
पूछो जरा दिल से...-
।। लोगों का काम है कहना ।।
हौसलों की उड़ान को जब तूने भरना चाहा
लोग क्या कहेंगे इससे तूने खुद को क्यों दबाया
जो तेरा दिल चाहता है, वह करो ना
लोगों का क्या लोगों का काम है कहना।
सोचते हो चल इसकी भी बात मान लु
अपने दिल की एक दिन और टाल लु।
यही सोचकर रोज-रोज क्यों मरना
यह तेरा जीवन है इसे अपने हिसाब से चलो ना।
लोग हंसाए तो हंसना, रुलाए तो रोना
अरे अपनी खुशियों की चाबी अपने हाथों में रखो ना
लोग बुराई करें या प्रशंसा यह फिकर मत करना।
लोगों ने तो सीता को भी बदनाम किया था ना ।
ना रुकना ,ना झुकना, ना पीछे मुड़ ना
हर कोई सलाम करे वह उगता सूरज बनना
अपने पर विश्वास करके बस तू आगे बढ़ना
लोगों का क्या लोगों का काम है कहना।-
फैमिली और साइलेंस
केवल चार मेंबर फैमिली में ,फिर भी ना बोल एक दूसरे से..
मॉम डैड काम में बिजी, बच्चे अपने फोनो में .
इंसानों की जगह बाते अब तस्वीरो से कर जाते है..
बाते जुबान पर आकर भी क्यों होंठ नहीं खुल पाते है?
खाने की टेबल पर चम्मच की आवाज और खामोशी है।
हंसते हैं गैरों के साथ,पर घर पर नियम वही सख्त क्यों हैं?
दोस्त का हाल पूछने उसके घर तक चले जाते हैं।
किस को क्या तकलीफ है घर में,यह जानना नहीं चाहते हैं।
अपनों को हमेशा परायो से तुलना करते हैं।
बिना हमारी बात सुने क्यों उनकी बात का भरोसा करते हैं?
गलती किसकी पता नहीं
अपनों के पास अपनों के लिए भी समय नहीं है।
घर की बात बाहर वालों से पता चलती है।
घर में 'क्या बात है' कभी कोई पूछता ही नहीं।
हम भी सब बताना चाहते हैं,
बाहर नहीं, घर में दोस्त बनाना चाहते हैं,
फुर्सत में नहीं,फुर्सत निकालकर हमसे भी बात करो ना
हर बार काम से नहीं,कभी बिना काम के भी बात करो ना।-
मोहब्बत 2 [ REPLY ]
इश्क प्यार मोहब्बत में नहीं जानता
मैं सिर्फ तुझे ही अपना मानता।
कहना अपनी सखियों से..
कि मैं इस प्यार को पवित्र
और तुझे राधा,सीता,पार्वती हूं मानता।
चाहे तुझे रुलाऊ मैं या फिर तुझे हंसाऊ मैं
ऐसा करने का हक में सिर्फ खुद को ही मानता।
और रही बात गैरों की,कि जुड़े तेरा नाम किसी से
ऐसा मैं नहीं मानता।
ना तुझे गम दूं ना तुझे दंड दूं।
तेरा चेहरा खिला रहे ऐसी दुआ हूं मांगता
कहे चाहे सारी दुनिया तुझे कि धोखा दूंगा मैं तुझे
आंखे बंद करके रखना हाथ दिल पे
समझ जाएगी कि मैं तुझे किस कदर हूं चाहता।
मैं तो सिर्फ तुझे ही सब कुछ हूं मानता
इश्क प्यार मोहब्बत मैं नहीं जानता।-
मोहब्बत
भाषा,परिभाषा मैं नहीं जानती
जो तू मुझसे करता है,
मैं सिर्फ मोहब्बत उसे हूं मानती।
कहती है सखियां मुझसे
तू इस मोहब्बत को किस नाम से है जानती
कहती हूं मैं कि मैं उसे कृष्ण और खुद को राधा हूं मानती ।
कहती है, तुझे रुलाएगा वह, मैं कहती हूं उसका रुलाना
मैं गैरों के साथ हंसने से अच्छा हूं मानती।
तू गम दे या दंड दे या दे अशांति
सच कहूं तो मुझे सिर्फ तेरी बाहों में ही मिलती है शांति ।
कहे सारी दुनिया मुझे धोखा देगा वह तुझे..
अगर यह बात कहीं तू भी तो भी मैं नहीं मानती..
तेरी मेरी मोहब्बत को मैं अच्छे से जानती।
जो तू मुझसे करता है,
मैं सिर्फ मोहब्बत उसे हूं मानती।
भाषा,परिभाषा मैं नहीं जानती ।।
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पटना में जन्म लिया
दिल्ली से वो आया था।
बिहार का रहने वाला;
आज सबके दिलों पे छाया था।
अपनी मेहनत से उसने;
बड़े मुकाम को पाया था।
छोटी सी उम्र मे उसने
ऊंचा नाम कमाया था।
'पवित्र रिश्ता' मे उसने;
रिश्तों को सुलझाया था।
दोस्तों के संग रहकर जीना;
'काई पुछे में सिखलाया था।
संघर्ष भरा ये जीवन अपना;
'एम.एस. धोनी' मे दिखलाया था।
'कमो बनकर उसने;
'छिछोरे' मे खूब हंसाया था।
फिर ना जाने किस गम ने;
उसको इतना सताया था।
उसका 'दिल बेचारा;
कुछ बया न कर पाया था।
We miss you SSR 💔-
कोरोना - एक महामारी
वक्त बुरा है, हालात है नाजुक
दुनिया का हर एक व्यक्ति
खुद से कर रहा है युद्ध
कोई जीत रहा है, कोई हार गया
पाया किसी ने कुछ नहीं...
कुछ-कुछ ने तो सब कुछ हार दिया।
सबक लेना इस वक्त से
दोबारा वैसे मत बन जाना तुम
जितने की होगी भूख तुम्हें..
सिर्फ उतना ही बनवाना तुम
किसी की मजबूरी से ..
अपना बिजनेस मत बढ़ाना
वक्त बुरा है,हालात है नाजुक
मिलकर है कोरोना हराना।-
गांव के लोग....
वक्त बदला और बदल हमारे विचार रहे हैं।
गांव में सुख पाने वाले शहर की ओर जा रहे हैं।
तम के समान सभी पहर हो गए हैं
अमृत गांव के शहर में जहर हो गए हैं।
अपने घर नहीं,अब बेगाने घर अपने हो रहे है।
गांव के लोग अब शहरी हो रहे हैं।
मां के आंचल में सोने वाले,कहीं भी सो रहे हैं।
बड़े गर्व से कहते थे जिन्हें अपना,
वे अब पराए हो गए हैं।
भाई भाई थे जो गांव में
शहर में अजनबी हो गए हैं।
गांव के लोग शहरी हो रहे हैं।
पकड़ के चली थी उंगली जिनकी
वे होली और दिवाली के मोहताज हो गए हैं।
इन शहर के शहजादों के लिए
गांव के दोस्त अब ग्वार हो गए हैं।
गांव के लोग शहरी हो रहे हैं।-
जीवन
जीवन को महान बना
मत कर किसी से तुलना
कोई तेरे जैसा नहीं
दिल में अपने यह विश्वास बढ़ा।
हार जीत का डर हटा
बस तू आगे बढ़ता जा
जो तेरा, साथ होगा वह
जो नहीं, वह भाड़ में जा।
ऊंचा बनने दे तु सबको
तू अच्छा इंसान बन जा
बुराई को अच्छाई से हरा
मत कर किसी से तू घृणा
पथ तू अपना खुद बना।
उस पर अपना नाम लिखवा
किस्मत पर भरोसा मत कर तू
तकदीर अपनी खुद बना।
जीवन के कर्तव्य को तू
पूरी निष्ठा से निभा
चिंता करनी छोड़ दे।
बस खामोशी से देखता जा
छोड़ घमंड तू...
सीख जीवन जीने की कला
मन को शांत,बुद्धि को दिव्य
वाणी को तु मधुर बना।-
औरत हूं मैं!!
चुप रहूं मैं, सहू मैं
बोलूं तो बदतमीज हूं मैं ,
औरत हूं मैं ।
घुंघट करूं मैं, सिर झुकाऊ मैं
देखे कोई और तो बदचलन हूं मैं
औरत हूं मैं।
पराए घर की मैं ,पराए घर से मैं
घर से ...बेघर हूं मैं
औरत हूं मैं ।
पढ़ी-लिखी मैं ,समझदार मैं
पेशे से...गृहणी हूं मैं
औरत हूं मैं ।
बेटी मैं ,पत्नी मैं
बात हक़ की तो ,
सिर्फ एक औरत हूं मैं
औरत हूं मैं ।-