"If someone does our interest once in life, and even if he does harm a million times later, his interest should not be forgotten."
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Let’s store our culture and values...which we are ruining for the sake of being modern...
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जिस की महिमा का नहीं कोई बखान
शब्दों में न समा सके ऐसे हैं वो महान
परिचय प्रेम, नृत्य का हो या ध्यान, योग
या फिर हो उतेजक ध्वनियों
पर थिरकते पैरों का संयोग
उनकी गाथा को बांध दूँ
अपने मामूली शब्दों की जाल में
नहीं हूँ मैं इतनी अयोग्य ❗️ 🙏-
संस्कार झलकते है व्यवहार में.. सांस्कृतिक लोग खुद को साबित नही करते हैं।
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Our Indian Culture is
best Exhortation
for those who don't
accept it.
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गांवपण शेणलां
मनीसपण शेणलां आमचें, शेणलां आमचो देव.
भजन, कीर्तन शेणले आता, आयल्यो पार्ट्यो रेव.
चवथीक आता फुगडी ना, आयलां वेस्टर्न डिजे.
आता केक लागता गोड, पचके जाले आमचे खाजें.
धालां मांड गेले आता, नवे डिस्को गावांत आयले.
लोकगितां विसरून सगळें, इंग्लीश पदां गायले.
व्हडल्यांक ना मान आता, ना जिभेक मर्यादेचे भान.
पद आनी पैसो मेळोवंक, आमी विकता स्वाभिमान.
रेस्टॉरंटातले म्हारग जेवण, ट्रेंड सामको कुल.
कोणशाक बसून रडटां, आमची रान्नीतली चुल.
मल्लांचे माटव गेले, गेले ते खेळांतले गडी.
भायर कित्याक सरप?, स्मार्टफोन दिता मरे डेडी.
शेजारधर्म मेलो आमचो, बंद जाले काळजाचे दार.
माॅडर्न जावपाचे नादान, आमची संस्कृताय केली काबार.
शेणले आमचे गावपण, आयलीं व्हडली शारां.
आपलेपण गेले बुडून, जेन्ना आयली वेस्टर्न ल्हारां.
सुनय सुभाष कोमरपंत-
सफर राहों में ढल रहा था
वो मुझे कश्मीर से भी सुंदर लग रहा था
कुछ तो बात हैं उसकी राजपूती पोशाक में
की घूंघट में भी वो मुझे चांद का दीदार करवा रहा था-
म्हारा लागा शोहरिए, शौयरी साज़ा..
जुबा देने रै बहाने तूसै मिलदै आजा..,
होचै-बैड़ै रा रखना लिहाज़ा..
पूरै ग्रां ज़ाईआ निभाना आसा जूब देने रा रिवाज़ा..,
ग्रां लागा बाजदा साज़े रा बाज़ा..
चेकै केर ऐज़ना शोहरिए,छूणना ती तेरा रागा..,
लाणी आसा रोणंका साज़ै री बेशीआ पुरी सांझा..
हीर साही केरी झुरना मुंबै, हाऊं सा तेरा राझां..!!
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If "Indian Culture" and "Indian Economy" are suffering from so-called globalization!
Then,
Why is our Indian government trying to promote globalization in India??
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