जब भी मैं कहूं कि.....
"मुझे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दो"
तब ये समझ जाना की मैं चाहती हूं कि तुम मेरे सामने बैठो,
मेरे हाथों को थामो और मेरी आंखों में देखते हुए
ख़ामोशी से मुझे ये एहसास दिलाओ की
"हां मैं हूं... तुम्हारे साथ... अंत तक"
-
थाम के हाथ, मिला के निगाहें, सीने से लगा ले
एक मुद्दत के बाद मुझे तेरी धड़कनों का शोर सुनना है!
उतरना है निगाहों के रास्ते दिल में तेरे,
समेट लेना है पनाहों में ख़ुद को
जहन में लेकर तेरे ख्वाबों का कारवां
तेरे साथ उन्हें चुनना है
एक मुद्दत के बाद मुझे तेरी धड़कनों का शोर सुनना है-
वो चुप थे, हम भी तन्हा थे
कुछ यूं हमारी पहली मुलाकात हुई
दिल धड़का, लब ख़ामोश थे
फिर नज़रों की नज़रों से बात हुई-
आगमन पर पुष्प ना तोड़े जाएं
क्यों ना पर्यावरण को संजोया जाए
भेंट में दिया जाना चाहिए एक पौधा
एक जीवंत उपहार,एक जिम्मेदारी
ध्यान में रखी जाएं उसकी जरूरतें
उसे देखा जाना चाहिए फलते फूलते
संभाला जाना चाहिए एक सदस्य की तरह
महसूस किया जाना चाहिए विरह
यादगार हो मुलाकात, हो अपनेपन का एहसास
हम हिस्सा, प्रकृति हिस्सा, पर्यावरण का ये किस्सा।
-
अक्सर कुछ पुरानी यादें हमें एक अलग ही सफर पर ले निकलती हैं,
कभी ये हमारे लबों पर हल्की सी हँसी छोड़ जाती हैं, तो कभी आंखों को नम कर जाती है!!
-
पत्नी होती है जुगनू ✨
जो रोशन कर देती है
पति का घर...
प्रेमिका होती है चन्दन की
भीनी सी खुशबू
जो घुल जाती है
प्रेमी के मस्तिष्क में...
पत्नी राज़ करती है
पति के कमरे में
और खोजती है प्रेम
उसके हृदय में...
प्रेमिका बसती है
प्रेमी के हृदय में
पर अक्सर लांघ नहीं पाती है
चौखट उसके घर की...
पत्नी बन जाती है रुक्मणि...
गृहस्थ आश्रम में
प्रेमिका हो जाती है राधा...
और पूजी जाती है संसार की असंख्य पत्नियों द्वारा।।-
पत्नियों के हिस्से अक्सर नहीं आता... वो प्रेम ,
जो प्रेमिकाओं से किया जाता है...
उनके हिस्से आती हैं बेशुमार जिम्मेदारियां...
नहीं आती प्रेम भरी बातें,
प्रेम की वो दुनिया... जो,
कवियों ने कविताओं में रची, उपन्यास, कहानियों और फिल्मों में जिन्हें दिखाया...
नहीं आते महकते प्रेम पत्र,
आती है घरेलू सामान की लिस्ट...
जुल्फें बिखरती उनकी भी हैं,
पसीने से तरबतर खुद ही संवारती हैं...
नहीं आती चांद के आगोश में सिमटी रात...
और उसमे आंखों ही आंखों में किए गए इजहार...
खुद को समर्पित करने वाली पत्नी को नहीं मिलता
पूर्णतः समर्पित पति... उसे मिलता है केवल एक..... #पुरुष-
काश...
कोई इस तरह भी वाकिफ हो
मेरी ज़िंदगी से
कि मैं बारिश में भी रोऊं
और
वो मेरे आंसू पढ़ ले
-