सबसे ख़तरनाक एक अकेला आदमी,
ना किसी से मुह छुपाना,
ना किसी को मुह दिखाना।
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आज घर पे मेहमान आये हैं,
आज फिर कुछ अच्छा खाने को मिलेगा ।
आज घर पे मेहमान आये हैं,
आज फिर एक रोटी के चार टुकड़े होंगे ।।-
माँ मैं बाहर जा रही हूं, यूँ खड़ी हो दरवाजे पे,
लगाए टकटकी घड़ी की और, मेरा इंतज़ार ना करना,
देर बहुत देर हो जाए, और तेरी बेटी वापस घर ना आये,
तो समझना किसी भेड़िये का आज आहार थी मैं,
थी मैं सूट-सलवार में ही पर, माँ घर से तो बाहर थी मैं,
छाती पे रख हाथ तू, आंसुओं का सैलाब मत बहाना,
देख मेरी ऐसी दशा, खुद को दोषी मत बताना,
ना गलती तेरी कोई, ना गलती मेरे कपड़ो की थी,
तूने माँ जनम ही बेटी दिया, जिसकी तन ढके में भी उभरी हुई थी।-
कितना कुछ बोल लोगे
कितना कुछ जूठ मुठ का तारीफे बूनोगे
जब प्यार मैं हो तोह सदियों की बात करोगे
सच तोह ये है जितना प्यार करोगे
उतनी ही बेरहमी से जाएगी वो ।
वक़्त बीते तोह ज़ख्म पुराना हुआ
पर क्या करे जब उसका नाम भी साथ ना चोरे ।।
आज की बात बस इतना है
वो होती तोह हम भी जी लेते
आज कमिया उसकी इतनी है
वो होती तोह उसके लिए हम भी मर लेते ।।
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स्त्री के मन को समझना उतना ही मुश्किल है जितना पुरुष के प्रेम की गहराई को समझ पाना..
जब तक स्त्री अपना मन और पुरूष हाथ, "थामे" रखते हैं उन दोनों से ज़्यादा भावुक और समर्पित कोई नहीं होता....
लेकिन जिस दिन मजबूत होकर स्त्री अपना मन आज़ाद और पुरुष प्रेम करना, "छोड़ते" है, दुनिया की कोई भी ताकत दोनों को ही, वापिस बंधन में नहीं बांध सकती...!-
प्यार से ढका जाना चाहिए
ठीक वैसे ही
जैसे ढक देता है आसमान
धरती को
पर धरा का वजूद
जस का तस वहीं क़ायम
.
हम सभी को नीला आसमाँ होना होगा
बिना किसी का आसमाँ छीने..-
उस रोज़ जब पहली दफ़ा
तुमने मेरे हाथों को अपने हाथों में लिया था
तुम्हारे हाथ
दुनिया के सबसे गर्म हाथ थे
उस पल मुझे याद नहीं आई कोई कविता
बस एक ख़्याल जन्मा था
कि बस यही प्रेम है, बस यही बचा सकता है पृथ्वी को
और मुझे बचाये रखना होगा इस गर्मी को
सुना है मैंने कुछ नीले तारे बहुत गर्म होते हैं
हाँ, मैं तोड़ लाऊंगी
तुम्हारे हाथों में सजाने के लिए
वो कुछ गरम तारे
.
मैं बनूँगी प्रेमी के लिए तारे तोड़कर लाने वाली पहली प्रेयसी!-