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चिराग हूं मैं, मिरी रौशनी पर हक़ है सबका....
फक्त किसी एक के काम आऊं, मुझे मंजूर नहीं..!!-
हक़
जो आपके हक़ का नही होगा
फिर भी उनके पीछे भागोगे
तो फिर जो आपके हक़ मे
होगा वो भी खो दोगे,-
ढूँढ़ लो अपने नए महबूब का कोई और नाम,
अब मेहताब पर कोई हक़ रहा नहीं तुम्हारा ।।
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तू आला है और है ऊँची तेरी शान ओ रब्बा
तू ही रेहवर और तू ही है मेहरवान ओ रब्बा
तेरी खुदाई है ज़र्रा-ज़र्रा तेरे जैसा कोई नही
तूने ही बनाया,ये खूबसूरत इंसान ओ रब्बा
हसीं बनाये जबाँ बनाये तूने ये इंशां बनाये
जमीं बनाई और,बनाया ये ज़हान ओ रब्बा
तेरे इशारे चले हवायें तेरे इशारे भागे बवायें
तेरे इशारे टिके,ये ज़मी आसमान ओ रब्बा
सत्तर माँ'ओं से भी ज्यादा तू प्यार करे है
तू रेहम दिल है और बड़ा कद्रदान ओ रब्बा
तेरी खुदाई तू ही जाने किसको क्या देना है
दुःख भी तू ही, तू ही देता मुस्कान ओ रब्बा-
उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए-
Chlo kuch rishte benkaab krte hain
Jayedaad me apne hisse ka zra ailan krte hain
चलो कुछ रिश्ते बेनका़ब करते हैं,
जायदाद में अपने हिस्से का जरा ऐलान करते हैं।-
Jannat si jindagi to jili uske sath abhi jahnum dekhna baki h
Khushiyan k pal to bit gaye abhi to rona baki h
Pyar to mehsus kr lia abhi to tute dil ki tadpan baki h
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खुद को कृष्ण और मुझे राधा कहने वाला
इश्क में गालियां देना इश्क-ए-हक समझता है ..!!-
माना हक़ नहीं , फिर भी हकदार हैं ।
गुनाह सारे सिर्फ तेरे नहीं , थोड़े हम भी कसूरवार हैं ।-