लाइलाज़..ये इश्क़ का मर्ज..!!
-
जो इस ग्रह पर अपने होने का अर्थ ढूंढ रही है...
अभी तक तो मिला न... read more
धड़के है, बार बार दिल ,
लब पर इक बात ठहरी है,
गुमसुम चांद,बेचैन है चांदनी
और..आंखों में रात ठहरी है..!!-
मैने
बेटे को क्या सिखाना है,
जीवन के टेढ़े मेढ़े रास्तों को
आसान कैसे बनाना है,
हो अंधकार जब निराशा का,
दीप उम्मीद का कैसे जलाना है,
कर सकते हो तुम सब कुछ
ये विश्वास मन में जगाना है,
पापा से सीखा मैने
जीवन, सच में कैसे जीना है..!!-
रात को जगता,दिन में सोया रहता है,
बेगानो सा मिलता है आने वालों से,
भरम अपनेपन का भी, आँख में न रखता है..!!-
मायने इश्क़ के,
इक इबादत थी
जो की हमने,
इक खेल था
जो खेला तुमने..!!-
ढूंढे हर तरफ तुझको बेचैन निगाहें,
बस इतना ही है हासिल इश्क़ का,
तड़पता दिल और ठंडी आहें..!!
-
हैं तेरे ख़्याल इस तरह साथ मेरे,
कि ये लंबी रात भी, तन्हा नहीं लगती है..!!-
इस कदर खो गया हूं तेरे प्यार में,
ढूंढू तो, ख़ुद को भी मैं मिलता नहीं..!!-
हम,इस कदर होते रहे,
तेरे झूठे इश्क़ का हम,
दम सच्चा भरते रहे,
मरे थे, सिर्फ़ इक बार तुम पर
हम अपनी मर्ज़ी से मगर,
कत्ल बार बार मेरा
तेरी आस्तीनों के खंज़र करते रहे..!!
-