गई रुतों में तो शामो-सहर न थे ऐसे
कि हम उदास बहुत थे मगर न थे ऐसे-
Best Shayari
(Ahmad Faraz)
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Joined 28 May 2018
8 NOV 2018 AT 8:23
सब को रुस्वा बारी बारी किया करो
हर मौसम में फ़तवे जारी किया करो
चाँद ज़ियादा रौशन है तो रहने दो
जुगनू-भय्या जी मत भारी किया करो
जब जी चाहे मौत बिछा दो बस्ती में
लेकिन बातें प्यारी प्यारी किया करो
रोज़ वही इक कोशिश ज़िंदा रहने की
मरने की भी कुछ तय्यारी किया करो-
8 NOV 2018 AT 8:11
मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए
और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूँ हैं-
6 NOV 2018 AT 19:09
वो तो ख़ुशबू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा-
6 NOV 2018 AT 18:22
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला-
6 NOV 2018 AT 17:41
दिल वो नगर नहीं कि फिर आबाद हो सके
पछताओगे सुनो हो ये बस्ती उजाड़ कर-
6 NOV 2018 AT 17:14
जिन जिन को था ये इश्क़ का आज़ार मर गए
अक्सर हमारे साथ के बीमार मर गए-