कोई मोहन कोई कृष्णा, कोई घनश्याम कहता है,
कोई कान्हा या गोविन्दा, कोई प्यारा श्याम कहता है।
नाम अनेक है लेकिन, अर्थ बस एक है सबका,
सभी मुझमे समाते है, सभी में मैं समाता हूँ।।-
"पधारा चित्तचोर हर घर के आंगन में,
बजाए मुरली और छनकती पाज़ेब पावों में।
सलोनी सी मुस्कान से सारे जग में बरसाया उजियारा है,
ऐसे मेरे सांवरे कन्हैया का आज..जन्मदिन आया है।
ऐसे मेरे सांवरे कन्हैया का आज..जन्मदिन आया है।।"
"🌼बधाई हो!बधाई!!सांवरा आ गया है🌼"-
यशोदा का नंदलाल
देवकी का लाल
नंद बाबा के चहेते
कंस का काल
जय कन्हैया लाल
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कलयुग के इस कालचक्र में प्रेम की नई इबारत लिखने की तैयारी है
कल तक जैसे प्रेम में कान्हा जी दीवाने हुए थे अब मेरी बारी है।-
गोपियंन को प्रेम तुम,
जो जीवन सिखात हो।
अर्जुन को धनुष तुम,
जो मान को बडात हो।।
जानत हैं प्रभू हम,
तुम्हारी प्रभुताई को।
जब पाप बड़त भू पर,
तुम हरि नर बन आत हो।।
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एक जोगन बनी प्रीत में तेरी एक भक्त बनी हूं भक्ति में,
राधा_मीरा मैं नहीं पर बसाया है तुझे मन की सृष्टि में,
कण_कण में तू समाहित तू ही विश्वरूप में,
कौन है जो बच सका डूब के तेरी दृष्टि में।-
खोज है मित्र की,मित्र बेशक एक हों
लेकिन ऐसा हो जों
अल्फाजों से ज्यादा ख़ामोशी को समझे-
Ek dafa bhagawan Krishn aur Radha yamuna nadi ke kinare baithe huye the...Tabhi achanak radha ne bhagawan krishn se sawal kiya....ki ''Hey Shyamsundar aakhir prem ka matlab kya hota hai''....Is sawal par bhagawan Krishn ne muskurakar jawab diya....ki ''Hey Radhe jaha prem hota hai...waha matlab nhi hota''....aur ''Jaha matlab hota hai....waha prem nhi hota.''
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