उसने कहा पापा नहीं मानेंगे
मैं मान लेता उसकी भी बात
ग़र उसने एक बार भी
अपने पापा से पूछा होता।-
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दुनिया के किसी कोने में तो होगा वह शख़्स
जो प्रेम को लेकर मेरा सा नज़रिया रखता हो।-
लड़कियों तुम घर से निकलना सीखो
कार चलाना सीखो ,पैसा कमाना सीखो
दुनियादारी का हर दाँव पेंच सीखो
कोर्ट कचहरी सीखो, थाने जाना भी सीखो
मिट्टी से अन्न उगाने की तरकीबें सीखो
उस अन्न को भोजन बनाने की प्रक्रिया सीखो
पढ़ लिखकर आत्मनिर्भर बनने का हुनर सीखो
परिवार की मज़बूत भुजा बनने की कला सीखो
जो मर्द कर सकते हैं वो हर काम करना सीखो
मगर मत सीखना कभी मर्द की बराबरी करना
क्योंकि इससे तुम्हारा वजूद कमतर साबित होगा
प्रकृति ने मर्द जनने की क्षमता केवल तुमको दी है
और बाहर निकलने की ख़ुशी में कुछ काम है
जो तुम भूलकर भी कभी मत सीखना
तुम मत सीखना स्वतंत्रता के नाम पर छोटे कपड़े पहनना
किसी ऐसी जगह जाना जिससे तुम्हारी संस्कृति का अपमान होता हो
ऐसे लोगों से जुड़ना जो दुनिया की हर लड़की में हवस खोजते हो
तुम मत सीखना हर बात पर नारीवादी होना
ना अपने घर के मर्दों को आधुनिकता की दुहाई देना
इसीलिए बराबरी के चक्कर में अपनी अस्मिता मत खोना
क्योंकि तुम सदा से पूजनीय थी और सदा तक रहोगी।
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स्त्री परिस्थिति से प्रेम करती है
जबकि पुरुष केवल स्त्री से।
स्त्री पैसा,प्रतिष्ठा, सरकारी नौकरी, शहर में मकान,
लड़के का परिवार एकल है या संयुक्त आदि
और भी कई चीजें देखती है।
और पुरुष केवल यह देखता है कि वो एक बार को
मुझे अनदेखा करदे मगर परिवार में सबसे रिश्ते
निभाकर चले ,इतना काफ़ी है।
पुरुष आज भी अनपढ़ है
एक स्त्री का चुनाव करने के विषय में….-
लोग इत्तेफाक से मिल ज़रूर सकतें हैं
मगर बिछड़ते हमेशा अपनी मर्ज़ी से हैं।-
ये आजकल वाली चमक दमक से दूर रहता हूँ
दूर से देखने पर लगेगा ख़ुद में मग़रूर रहता हूँ
लगे भले ही बुरा, जो कहना है बात वही कहता हूँ
मतलबी साथ छोड़ गए इसीलिए अकेला रहता हूँ।-
सादगी में रहना संकल्प है मेरा,
मजबूरी नहीं
और हर किसी को पसंद आऊँ
यह ज़रूरी नहीं।-
अगर ज़्यादा जान पहचान का घुमान हो तो कुछ दिन अस्पताल में लेटकर देख लो आँखों से पट्टी उतर जाएगी।
अगर प्रेम-मोहब्बत पर इतराते हो तो बेवजह की फ़रमाइश पूरी करने से कतरा कर देख लो नौ दो ग्यारह होते देर नहीं लगेगी।
दोस्ती यारी पर अंधा विश्वास हो तो कभी खुद से खराब समय का बहाना लेकर देख लो भ्रम मिटते देर नहीं लगेगी।
सफलता के रास्ते पर मिली भीड़ को शुभचिंतक समझने की भूल कर रहे हो तो असफलता चखते ही भीड़ ग़ायब मिलेगी।
इसीलिए अपने आसपास फ़ालतू की भीड़ को अपना मानने का भ्रम छोड़िए तभी ज़िंदगी की सच्चाई दिखेगी।-
इंसान का सबसे बड़ा दुख है
उन आँखों से उतरना
जिनकी चमकने की कभी
वह वजह हुआ करता था-
कर ले अब अपनी इच्छा पूरी
आजमा ले इस भली दुनिया को
हमारी अहमियत का तकाज़ा अब
तुझे बाकियों के साथ रहकर होगा।
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