Yadon Ka Safar   (Kumari Samagi)
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Joined 2 April 2021


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30 APR AT 13:10

प्यार भरी थपकी दे गम को सुला दे,
मीठी मुस्कुराहटों में गम को भूला दे,
बातों की चासनी में खुशियां संजोती मां,
नादानियों में बात कितनी गहरी पिरोती मां ।

मन जिसका आइना, प्यार निर्मल गंगा हो,
छोटी छोटी बातों पर जो रुठना-हंसना जानती वो,
अपने गोद में जाने सुकून कैसे संजोती मां ?
व्याकुलता में भी उम्मीद की जोत जलाती मां ।

बढ़ती उम्र में हमने जिसकी नादानी को भूला दिया,
उसमें भी इक किलकारी थी, कैसे हमने उसे रूला दिया,
हमारी हर नादानियों को हंसकर टालती मां,
अपनी वेदना को कैसे जाने छिपाती मां ?

गर अपनी नादानी में उनको भी हम जोड़े तो,
मीठी, सच्ची मुस्कान की यादें नई पिरोए तो,
वो भी है तुम जैसी ही यकीं दिलाओ ना,
तुम संग जुड़कर देखो कैसे यार मुस्कुराती मां ।

..............♥️ मां ♥️................

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10 APR AT 23:56

रमज़ान का ये मौसम जैसे इंतजार है प्यार का,
चांद की पहली नजर जैसे दीदार उस यार का,
मेरे इस रमज़ान का करवा अब तो ईद मौला,
कुबूल तू कर अर्जी मेरी बन तू रहबर मौला ।

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9 APR AT 22:16

हर किरदार में हम शामिल हो, है मुमकिन ये भला कैसे,
कुछ दास्तां हुजूर, अधूरा ही हसीं लगता है ।
♥️😊

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27 MAR AT 18:37

थक गई ढलते ढलते, धूप देखो शाम तक,
रह गई खिलते खिलते, कली देखो मसान तक ।

वो पूछता फिर रहा,‌ है दर-बदर मेरी चाहतें,
पूछी नहीं हमसे मगर, वो निगाहें देखो आज तक ।

किसी ठौर तो हां ठहर सके, सफ़र जो चल पड़ा है ये,
पूछती रही चलते चलते, पांव देखो छांव तक ।

बिखरना भी कभी चाहूं, तो भी अब दिल नहीं करता,
बांधी गई टूटते टूटते, तार देखो साज तक ।

कभी सुस्त, कभी तेज सी, ये जिंदगी है रेल सी,
उलझी हुई है चलते चलते, एहसास देखो ख्वाब तक ।

ये फासले एक मोड़ पर, खत्म कर देते है सिलसिले,
पूछती है मुकरे मुकरे, रिश्ते देखो साथ तक ।

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26 MAR AT 8:43

तेरी गली में कभी जो आना हुआ,
रोक पाएंगे क्या, जो फ़साना हुआ,
राधा संग होली तुझको मुबारक,
अपना ये दिल मीरा के रंग हुआ,
अबकी फागुन की होली बड़ी रास आई,
सालों बाद ये होली खुद के रंग हुआ ।
♥️☺️
Happy Holi

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18 MAR AT 0:51

मोहब्बत की तलब जानां अभी कुछ देर रहने दें,
नशा जब ये उतरेगा, इसे फिर जी ना पाएंगे ।
💔😊♥️

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17 MAR AT 2:06

ना होने से होने की दरकार बनी रहती है,
दिल में थोड़ी बेचैनी, थोड़ी करार बनी रहती है ।

उसका आना, जाना, फिर आकर के जाना,
जैसे कि सफर ए मोहब्बत में, इकरार इंकार बनी रहती है ।

लफ़्ज़ों की शालीनता कहती हैं कितना कुछ जानां,
लफ़्ज़ों की तिश्नगी से आग बनी रहती है ।

वो दस्तयाब हमारी आंखों का, किसी तीरगी में दफन हुआ,
यादों के सफर में मगर, कुछ कशिश बनी रहती है ।

जो हमनवा ना हो सका, वो हमसफ़र क्या ही बनता,
दिल मगर जाने क्यों, एक रक़ीब बनी रहती है ।

रिश्तों की आजमाइशें वक्त के साथ होती है,
सुनने का हो सब्र, तो साथ बनी रहती है ।

चल पड़े सफर में तो, किसे खबर कहां ठहरेंगे,
ख्वाबों से जीने की, बयार बनी रहती है ।

किसी एक रंग में कब रंगा सफर जिंदगी का साथी,
सफर ए चाहतों में यहां, कई रंग बनी रहती है ।

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15 MAR AT 23:19

How Can I Call you Unfaithful ?


With your arrival I able to know myself,
you became the peace of my soul,
many desires flourished in me, you became whose path,
you always held me,
you always connect me,
l feel love because of you,
how can I call your separation as infidelity ?
my love, How can I call you unfaithful?

It was necessary to turn the corner , I understood that,
a little carelessness was necessary, I accepted that,
by coming close to you, I would have forgotten myself,
it was necessary for you to go, I know,
the one who give me a new journey,
how can I call him heartless,
my love, how can I call you unfaithful?

I know you are not my lover,
I am not worthy of your love,
but how can I ignore your compulsions?
You still care about me, how can I deny it?
My love, how can I call you heartless?
My dear, how can I call you unfaithful?

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15 MAR AT 22:35

Today is the day, I need you my love,
I want to share all my secrets, compulsion, needs and love to you,
you give me the way of life,
you connote me who I am ?
you aroused love in me,
If you gone then I will broken completely,
please hold me before I break,
I need you my love.

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15 MAR AT 1:49

तेरे आने से जाना खुद को, तू सुकून ए रुह बना,
ख्वाहिशें पनपी मुझमें कई, तू जिसका रास्ता बना,
मुझे थामा तुमने हमेशा, मुझे जोड़ा है तुमने,
मोहब्बत होती है क्या ये समझा है तुझसे,
तेरी जुदाई को बेवफाई कैसे कहूं,
सनम तुझको, मैं बेवफा कैसे कहूं ?

रूख मोड़ना जरुरी था, ये समझा है मैंने,
बेफिक्री थोड़ा जरुरी था, ये माना है मैंने,
तेरे करीब आने से, खुद को भूल जाते हम,
तेरा जाना जरूरी था, ये जाना है मैंने,
मुझे नया सफर देने वाले, तूझे बेरहम कैसे कहूं,
सनम तुझको, मैं बेवफा कैसे कहूं ?

जानती हूं तू मेरा तलबगार नहीं,
मोहब्बत पर तेरे मैं हकदार नहीं,
तेरी मजबूरियों को पर नजर अंदाज कैसे करूं ?
तुझे मेरी अब भी फ़िक्र है, इससे इंकार कैसे करूं ?
मेरे हुजूर, तुझे बेदर्द कैसे कहूं ?
सनम तुझको, मैं बेवफा कैसे कहूं ?


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