Gussa ki maharani
Attitude ki diwani
Miliye inse ye hai Sanaya Rani
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गुस्से और नासमझी में अक़्सर इंसान कुछ ऐसा कर देता है,
जहाँ वो ग़लत ना हो वहाँ भी ख़ुद को ग़लत कर लेता है।।
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धिक्कार हैं उन कुछ आदमियों पर...
जो औरत को हवस का शिकार बनाते है...
बड़ी तो बड़ी वो छोटी को भी ना छोड़ते है...
छोटी बच्चियों को गम दे कर...
वो उस गम मे खुश हो जाते है...
वो भी किसी बेटी के बाप हो सकते है..
ये क्यों भूल जाते है?
औरत की इज्जत नोच के...
वो खुद को मर्द कहलाते है...
उनको भी औरत ने ही जन्म दिया है..
ये क्यों भूल जाते है?
-Khushu
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एक वक्त था जब तुम्हारी थोडी़ सी गैर मौजूदगी मे भी कुछ अच्छा नही लगता था
खैर अब तो आलम एेसे है आपका मेरी जिदंगी मे शामिल न होना ही अच्छा लगता है-
तूने मुझे छोड़ा एक सच्चे प्यार के तलाश मे..
मै आज भी वही खड़ा हुआ तुझसे मिल जाने की आस मे..-
Hijr ki bechargii afsoos, Nadamat, Gussa..
Aaj ghum ke sabhi iqsaam pr rona aaya...-
फासी जैसी सुखद मौत नही उस मासूम के dard-e-एहसास करवाना हैं
लड़की पर माँ बाप पर क्या गुजरती हैं इन madrch**do को बताना हैं!!
*sorry एेसे शब्दो का प्रयोग किया
इनका काम इतना गंदा हैं ये word भी छोटा हैं-
कुछ हमने कहा कुछ तुम भी कहो
यार गुस्सा हो पर चुप न रहो
ऐसे जो बात बात पे रुठ जाओगी तुम
क्या फरवरी में भी हमको सताओगी तुम-
Na khidki kholte hai, Na chhat par aate hai...
Narazgi wo thoda iss kadar jatate hai...-
ये जो आपके चेहरे पर ,
हमारे लिए प्यार हैं...
दिल में गुस्सा बेशुमार हैं..!
कसम से मिल कर ले रहीं
हमारी जान हैं...!!-