इन गुलिस्तों पे ये बंदिशें जायज़ हैं गुलफ़ाम,
ख़ता-ए-इश्क़ की सज़ा और क्या ही हो।*-
तुम्हारे लिए सनम मैं इक गज़ल सरेशाम लिख रही हूं
कुछ खास नहीं है इसमें, बहुत ही आम लिख रही हूं।।
सुबह की अलसाई अंगड़ाई या शब भर का हो सुकून
तुझे ही अपने हर एक पल का मैं आराम लिख रही हूं।।
खिल कर गुलों का इन फ़ज़ाओं को रोज ही महकाना
तमाम खुशबुओं के ढ़ेर को तुझे गुलफाम लिख रही हूं।।
मेरी जन्नत सी दुनिया का तू ही रब नज़र आता है मुझे
अपनी ज़िंदगी का आख़िरी तुझे मक़ाम लिख रही हूं।।
ख़त में इक गुलाब रख सारी ही तमन्नाएं लिख डाली हैं
बनाकर इन्हें ही ज़रिया तुझे मैं सलाम लिख रही हूं।।
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है आज भी याद हमें
वो नज़र से सलाम कहते थे
सजा कर अपनी महफिल को
चर्चे हमारे आम करते थे
कभी जो यूँ लगा उनको
खफा हैं हम ज़माने से
बुलाकर ज़ीनत हमको वो
अक्सर बेदाम करते थे
रहा करते थे बनठन कर
अलग अंदाज में अपने
परी समझते थे हमको
खुद को गुलफ़ाम कहते थे-
Aksar main sawalon mein ghira rahta hoon
Log puchhte hain ki kya tha usme jo tu pagalo ki tarah use yun dhoondta rahta hai
Jise parwah nahi hai teri, chhor kar chali gayi bin kuchh kahe
Bhala koi kahaan aise karta hai
Main kehta hoon, sun lo aye logo
Woh "Chaand" hai use baadalo ne gher rakha hai
Phir hatega badal ka wo kala saya, phirse bikheregi wo chandni mujhpe
Main ban jaunga jheel, woh chamkegi jaise koi roshni mujhpe
Bas isi baat pe adaa rehta hoon
Aksar main sawalon me ghira rehta hoon-
कोरोना में साहेब ने तीन ज़ोन बनाये है
1. अमीर - राहत पैकेज
2. मध्यम वर्ग - लोन पैकेज
3. गरीब - आत्मनिर्भर-
हमे वो भूलकर वहां गुलफ़ाम बैठे है
तबाही मची है अंदर, हम दिल थाम बैठे है
यूँ दरख्तों सा नही है कोई जख्म हम को भी
मगर फिर भी न जाने क्यों परेशान बैठे हैं
हवा लेकर आई है आज खुशबू तुम्हारी
इत्तला कर दो उन्हें, शायद अनजान बैठे हैं
बहुत खुश रहते हो तुम आजकल अश्विन
क्या किराए की खुशियों में मेहरबान बैठे हो।-
हमने देखा है उन रातों को
जो हमे दिखा रही थी
घने घोर अंधेरों में
उजाले की चाह जगा रही थी,
हमने देखा है उस आईने को
जो हमे रिझा रही थी
ख्वाबों से भरी इन निगाहों को
कमियां खुद ही गिना रही थी ,
हमने देखा है उन हवाओं को
जो कोई राग सुना रही थी
आधे अधूरे हौसलों को
जीने की राह बता रही थी ।
हमने देखा है .......-
अगर आपको धर्म के नाम पर भड़काया जा सकता तो अप सच्चे मुस्लिम या सच्चे हिन्दू नहीं बल्कि आप कुत्ते जिंदगी जी रहे हो! जो छू कहते ही काटने को दौड़ते है
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Jab jaana hi tha tumhein toh aayi kyon
Rulana hi tha mujhe toh hansaya kyon
Ab kehti ho ki mai bhool jaun tumhein yehi behtar hai
Toh fir pyaar ka ehsaas hi dilaya kyon
Batao kaise bhool jaaun woh raato ka jagna woh der tak baatein karna woh tumhare hi saath khwabon ka bunna
Gar mera dil todna hi tha toh dil lagaya kyon-