चलो देखकर आएं उस शहर को फिरसे
जिसने ज़ुदा किया तुम्हे हमसे हमे तुमसे-
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ढल रही है शाम काली रात आने को है
सतरंगी तारों की बारात आने को है
दिन भर दूर रहा जिनसे मन मिलने को आतुर
मधुर मिलन बेला की सौगात आने को है
शब्द जिन्हें सुन जलतरंग सी बज उठती है कानो में
अरसों से खामोश लबो पर वो बात आने को है
विश्वविजयी हो कितने ही परचम लहराये होंगे
इश्क़ के मैदान में अब मात आने को है
अश्विन हो तो अश्विन जैसे रह नही सकते जरा
शायरों के शेर से हालात आने को है
#अश्विन✍️-
"कठोर दौर"
कुछ ठीक नही है
बस सांसे चल रही है
रुक रुक कर
देश की सांस कुछ मध्धम हो चली हैं
कही रोता है नौजवान
तो कही बूढा दम तोड़ रहा है
कहीं कागजों पर नए नियम बन रहे है
तो कहीं दो तारीख की तैयारियां
तैयारियां जीत के हार पहने के
कहीं पहली बार पहनने के
कहीं फिर एक बार पहनने के
ओह! ये तो दावानल है
दिन-ब-दिन तीव्र होता दावानल
सबकुछ जलाकर खाक करने को
आतुर है
जीवन राख करने को
कुछ ठीक नही है
अभी भी सांसो में
निरंतरता आई नही है
पहले से ज्यादा तकलीफ
दर्द असहनीय है-
हंसते हुए मैं धुन नई गाता चला गया
शब्दों को पन्नों में यूं सजाता चला गया
.
खबर थी मुझे तेरे कहे हर झूठ की मगर
में इन्हें सच का जामा पहनाता चला गया
.
एक रिश्ता भी न निभाया गया तुमसे मगर
मैं टूटे रिश्तों को भी निभाता चला गया
.
तेज लहरों के आगे उसे कहाँ टिकना था
जुनून था, जो रेत के मकान बनाता चला गया
.
थम जाता है वक़्त दिल के टूटने और जुड़ने में 'अश्विन'
मैं तो वक़्त से कदम मिलाता चला गया....-
ढल रही है शाम काली रात आने को है
टिमटिमाते तारों की बारात आने को है
.
दिन भर दूर रहा जिनसे, जिनसे मिलने को तड़पे
मधुर मिलन की फिर से वो सौगात आने को है
.
शब्द जिन्हें सुन जलतरंग सी बज उठती है कानो में
अरसों से खामोश लबो पर वो बात आने को है
.
जंग में तो जीत कितनी ही लिखे हो रोज ही
इश्क़ के मैदान में अब मात आने को है
.
अश्विन हो तो अश्विन जैसे रह नही सकते जरा
शायरों के शेर से हालात आने को है।-
लूडो बोर्ड सी ज़िंदगी
कुछ ऐसी हो रंगीन
डूब जाएं एक दूसरे में
करें मोहब्बत
करें जुर्म संगीन-
जब देखा बेवफा-ए-शबनम को गैर की बाहों में
समंदर बह गया सारा मगर आँख गिर्या हुई नही-
भाग -3
तू गोलकुंडा कोहिनूर है
मैं सोहागपुर का पत्थर हूँ
तू इम्पोर्टेड डिओ है
मैं शीशी वाला इत्तर हूँ
तू आज़ादी सैंतालीस की
मैं अंग्रेजों का बंदी हूँ
तू महँगाई सी बढ़ने वाली
मैं छाई वैश्विक मंदी हूँ
यह साल भले ही नया सही
कुछ नया नहीं हो पायेगा
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
यह मेल नहीं हो पायेगा
तू दो हज़ार की नोट गुलाबी
मैं रद्दी पनसउआ हूँ
तू विलायती कॉकटेल है
मैं लालपरी का पउआ हूँ
तू प्योर साइंटिफिक थ्योरी है
मैं जुगाड़ से बना हुआ
तू चन्दन का लेप प्रिये
मैं कीचड से सना हुआ
मैं कीचड से , कीचड मुझसे
दूर नहीं हो पायेगा
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
यह मेल नहीं हो पायेगा
यह साल नया हो तुम्हे मुबारक
कुछ नया नहीं हो पायेगा।-
भाग - 2
तू नौकरी सरकारी है
मैं प्राइवेट का चपरासी
तू ग्लैमर आलिया वाला है
मैं रामदेव सा सन्यासी
तू हैदराबादी बिरियानी है
मैं बासमती अधपका हुआ
तू ताज़ी-ताज़ी गर्म जलेबी
मैं बचा-कुचा सा माल पुआ
यह साल भले ही नया सही
कुछ नया नहीं हो पायेगा
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
यह मेल नहीं हो पायेगा
तू संगमरमर का ताजमहल है
मैं ओलप्पो का खंडहर हूँ
तू अतिशालीन गाय के जैसी
मैं सनकी सोल्जर बन्दर हूँ
तू लैक्मे की मेक-अप किट है
मैं मुल्तानी मिट्टी हूँ
तू आज की ठहरी ई-मेल है
मैं दीमक खाई चिठ्ठी हूँ
यह साल भले ही नया सही
कुछ नया नहीं हो पायेगा
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
यह मेल नहीं हो पायेगा-
भाग 1
तू नए साल की एक जनवरी
मैं दिसम्बर का इकतीस हूँ
तू प्यार की मीठी सी गोली
मैं कोई आँकड़ा छत्तीस हूँ
तू अरिजित सिंह की मेलोडी
मैं फटा बांस तंबूरा हूँ
तू मोदी की सफल योजना
मैं प्रोजेक्ट पड़ा अधूरा हूँ
यह साल भले ही नया सही
कुछ नया नहीं हो पायेगा
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
यह मेल नहीं हो पायेगा
तू खेल रियो ओलंपिक का
मैं गाँव का गिल्ली डंडा हूँ
तू आर ओ का मिनरल वाटर
मैं घड़े का पानी ठंडा हूँ
तू अंग्रेजी की ऑक्सफ़ोर्ड है
मैं ठेठ देहाती बन्दा हूँ
तू रत्न जड़ित आभूषण है
मैं तो रस्सी का फंदा हूँ
यह साल भले ही नया सही
कुछ नया नहीं हो पायेगा
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
यह मेल नहीं हो पायेगा-