रास्ता ले जाएगा मुझ को कहाँ
इक क़दम जब आप चल पाता नहीं
आशु शर्मा-
Teacher by profession
Writer by passion
Lyricist
Two books 'Kitab e Zindagi ' an... read more
मारने वाली नज़र ने ही ज़िन्दा रखा मुझको
सितम समझूं या उनका ये करम ठहरा
हादसे बेइख़्तयार हुआ करतें हैं सुन रखा था
पलवशा समझा जिसे वो आतिश ठहरा
हर कोई शामिल था मेरे खिलाफ़ साज़िश में
मुझे किसी से नहीं कोई शिकवा ठहरा
ये लोग समझते हैं जाने क्या क्या न उसे
पर वो तो बस उस का खैऱख्वाह ठहरा-
तजु़र्बेकार कहते हैं कि गर
ख़्वाब मुकम्मल सींचे जाएं तो
हक़ीकत बन ही जाते हैं
तो क्यों न ख़्वाब देखने ही हैं
तो औकात से बढ़ कर देखें-
तुझ में कोई कमी नहीं थी यूँ तो
तुझ में तू ही नहीं मिला मुझ को
वक़्त और हालात के सवालात में
कहने का मौका नहीं मिला मुझ को
मुहब्बत में मिलावट भी ज़रूरी है
इस का नुस्खा नहीं मिला मुझ को
बगैर उस के जीना मौहाल नहीं
लेकिन सुकून नहीं मिला मुझ को-
खूबसूरत ख़्वाब
खूबसूरत है पर ख़्वाब है
काश हकीकत होती
लफ्ज़ खुद भी कभी बोलते
और लफ्ज़ों की कीमत होती
अश्क भी कभी मुस्कराते
और नमी आँखों की जीनत होती
दिल दिल की सुनता और
गर मान लेता तो गनीमत होती
कर्म ही बस दौलत होते
और बस कर्मों की वसीहत होती
ज़रूरी गैर-ज़रूरी से परे
हर चीज़ की अहमियत होती-
उसने तल्ख नज़रों से यूँ देखा है
राज ए मिज़ाज समझ नहीं आता
चल पड़ा हूँ मंजिल तक पहुँचने को
पर रस्ता मेरी मंज़िल को नहीं जाता
सूरज रोज़ उगता है और डूबता भी
मेरे हिस्से में दिन रात नही आता
ख़्याल तो रहता है हर पल तुम्हारा
पर अब मुझे तुम्हारा ख़्वाब नहीं आता
जिसे छोड़ना हो छोड़ ही जाता है
छोड़ने वालों का रोग नहीं पाला जाता
आशु शर्मा-
मुहब्बत यकीन माँगती है
शक के साये तले नहीं रहती
न ही शौहरत की ख़्वाहिश उसे
और बदनामी से भी नहीं डरती
सही और गलत की हद से परे
दिल अपना तंग नहीं रखती
मुसलसल सफर में रह कर भी
ज़िक्र ए थकान नहीं करती
आँख भर देखे तो जान आ जाए
मुहब्बत कभी बेजान नहीं करती
आशु शर्मा-