Ashu Sharma   (Ashu Sharma (किताब -ए- ज़िदगी))
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Joined 20 October 2017


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9 APR 2022 AT 21:22

रास्ता ले जाएगा मुझ को कहाँ
इक क़दम जब आप चल पाता नहीं

आशु शर्मा

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25 NOV 2018 AT 11:41

मारने वाली नज़र ने ही ज़िन्दा रखा मुझको
सितम समझूं या उनका ये करम ठहरा

हादसे बेइख़्तयार हुआ करतें हैं सुन रखा था
पलवशा समझा जिसे वो आतिश ठहरा

हर कोई शामिल था मेरे खिलाफ़ साज़िश में
मुझे किसी से नहीं कोई शिकवा ठहरा

ये लोग समझते हैं जाने क्या क्या न उसे
पर वो तो बस उस का खैऱख्वाह ठहरा

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23 NOV 2018 AT 22:44

तजु़र्बेकार कहते हैं कि गर
ख़्वाब मुकम्मल सींचे जाएं तो
हक़ीकत बन ही जाते हैं
तो क्यों न ख़्वाब देखने ही हैं
तो औकात से बढ़ कर देखें

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4 NOV 2018 AT 10:45

तुझ में कोई कमी नहीं थी यूँ तो
तुझ में तू ही नहीं मिला मुझ को

वक़्त और हालात के सवालात में
कहने का मौका नहीं मिला मुझ को

मुहब्बत में मिलावट भी ज़रूरी है
इस का नुस्खा नहीं मिला मुझ को

बगैर उस के जीना मौहाल नहीं
लेकिन सुकून नहीं मिला मुझ को

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25 AUG 2021 AT 12:55

कभी छुपा के कभी सामने बहाए हैं
हुए बेहाल ये मोती न रोक पाए जब

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14 AUG 2021 AT 11:45

टूटती रोज़ है बंदिशों की कड़ी
फिर नयी क़ैद में देखता हूँ उसे

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6 AUG 2021 AT 15:00

इक छोटी सी बात थी
किश्तों में भी मुकम्मल न हुई

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26 MAY 2021 AT 13:42

खूबसूरत ख़्वाब

खूबसूरत है पर ख़्वाब है
काश हकीकत होती

लफ्ज़ खुद भी कभी बोलते
और लफ्ज़ों की कीमत होती

अश्क भी कभी मुस्कराते
और नमी आँखों की जीनत होती

दिल दिल की सुनता और
गर मान लेता तो गनीमत होती

कर्म ही बस दौलत होते
और बस कर्मों की वसीहत होती

ज़रूरी गैर-ज़रूरी से परे
हर चीज़ की अहमियत होती

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23 MAY 2021 AT 17:33

उसने तल्ख नज़रों से यूँ देखा है
राज ए मिज़ाज समझ नहीं आता

चल पड़ा हूँ मंजिल तक पहुँचने को
पर रस्ता मेरी मंज़िल को नहीं जाता

सूरज रोज़ उगता है और डूबता भी
मेरे हिस्से में दिन रात नही आता

ख़्याल तो रहता है हर पल तुम्हारा
पर अब मुझे तुम्हारा ख़्वाब नहीं आता

जिसे छोड़ना हो छोड़ ही जाता है
छोड़ने वालों का रोग नहीं पाला जाता

आशु शर्मा

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20 MAY 2021 AT 20:48

मुहब्बत यकीन माँगती है
शक के साये तले नहीं रहती

न ही शौहरत की ख़्वाहिश उसे
और बदनामी से भी नहीं डरती

सही और गलत की हद से परे
दिल अपना तंग नहीं रखती

मुसलसल सफर में रह कर भी
ज़िक्र ए थकान नहीं करती

आँख भर देखे तो जान आ जाए
मुहब्बत कभी बेजान नहीं करती


आशु शर्मा

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