वो बनकर गुल मेरे दामन से लिपटे रहे,,
मैं बनकर खार उनको चुभती ही रही.. !!-
ये दोस्त ही तो है,
जो झूठी मुस्कुराहट के पीछे
छुपे गम को पहचान जाते है!!-
गुल को देखते ही चेहरे पर इब्तिसाम आ जाते हैं
इसलिए ज्यादातर लोग अपने बाग़ में गुल लगाते हैं-
آزاد ہندوستان کیوں نا مہکے گل کی طرح سے سینچا ہے شہیدوں نے اسے اپنے خون سے
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दुनिया से कुछ मिला नहीं
हमको इसका गिला नहीं।
वक़्त ने कर दी टेढ़ी चाल
मैं जगह से हिला नहीं।
हमने ढूंढा सारा जहाँ
तुझसा कोई मिला नहीं।
लाख बहारें आयीं मगर
गुल कोई भी खिला नहीं।
प्यार करो चाहे जितना
मिलता कुछ भी सिला नहीं।-
Na chahat rahi, na hi koi
tawakko hm tumse rakhte h
Jisko tumne gul samajh kr
shakh se toda tha use sb dil kahte h-
रुख़ ए गुल को वो गुल से छुपाए हुए हैं,
फ़स्ल ए गुल उन्हीं से है ये जताए हुए हैं।-
कभी दिल में दर्द से,
तो कभी सरदर्द हो तुम।
देते हो हरदर्द मुझे,
ऐसे हमदर्द हो तुम।-
Sath Foolon Ke Honge Kaante Bhi...
Faqat Gulon Se Chaman Nahin Hota...
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