Jo chup reh ke bhi bola karti thi,
Wo uski tasveer thi....,
Or Jo manaane pe bhi roothi rahi,
Wo meri taqdeer thi....,-
ज़िंदगी के इम्तिहान में अव्वल रहेंगे।
0 se 50 degree tak to har mausam ne aazamaya,
Magar tere jaisi 3rd degree to ye mausam bhi nahi de paaya.-
आख़िर अपनी सांसों से कब तक लड़ लेगा???
मगर जाने दो...
कौआ इसी बहाने थोड़ा उड़ लेगा!!!-
छोड़ दिया मैंने ख़ुद को जहां,
वो ज़माना कोई और था।
फिर चल पड़ी अनजानी राहों पर,
लेकिन मेरा ठिकाना कहीं और था।-
पहले गुजरना है ज़िंदगी से,
फ़िर ज़िंदगी से गुज़र जाना है,
इस दो तरह की ज़िंदगी से,
इंसान कितना अनजाना है!!!-
तुझ जैसा क्या हुआ जाता है,
कबीर तो हो लिया एक...,
कोई तुझसा ना हो सका है,
चाहे कर ले जतन अनेक।-
चलने के लिए ज़मीं दी,
उड़ने के लिए आसमां दिया,
एक खूबसूरत ज़िंदगी दी,
प्यारा सा एक नाम दिया।।-
Main kaise btaau aapse mera rishta kitna gehra hai,
Bas jab bhi dekhti hu
Ehsaas hota hai ..
Mere Sar pe khuda ka pehra hai.-
आपके होने से मेरी ज़िंदगी में प्यार ही प्यार रहेगा...,
इस ज़िंदगी के लिए आख़री सांस तक आपका आभार रहेगा।-
यूं तो मैं लिख देती हूं भारी से भारी बात,
मगर कलम कहती है कैसे लिखें एक पिता के जज़्बात!!-