अरे उस बेवफा की यादें इन दिनों
किसी और को रात भर जगाती हैं
अफसोस है मुझे ये दुःख सहकर भी
"कपिल" तुझे क्यूँ मौत नहीं आती हैं-
जो रिश्तों के पत्ते खेलें क्या वो गद्दार नहीं होते
खुदगर्ज होते है अहम वाले मक्कार नहीं होते
थोड़ी शिकायतें बनी रहें रिश्तों में तो बेहतर है
बहुत चाशनी में डूबे रिश्ते वफ़ादार नहीं होते
जो रोकने के बाबजूद भी ना रुके उसे जाने दो
ऐसी गलतीयों के हम खुद जिम्मेदार नहीं होते
किसी को आज रोका तो वो कल चला जायेगा
हम हर शख्स की चाहत के हकदार नहीं होते
बहुत गहरे रिश्तों में आकर जो जो बाजी खेलें
यक़ीनन ऐसे लोग घर से इज्जतदार नहीं होते
"कपिल" दिल की गलियों से यूँ ना जाया करो
दिल" के घर में रहने वाले किराएदार नहीं होते-
तुझे दवा की नहीं,
दुआ की जरुरत है,
ए दोस्त तुझे इश्क़ है,
कोई बीमारी नहीं।।-
विश्वास नहीं कुछ दिन ठहर सारी फितरत समझ आएगी
अरे !! इंसान हैं प्याज की तरह रोज परत खुलती जाएगी-
जो लगा रहे हैं इल्जाम,
मुझपर गद्दारी का।।
वो रख लें ढूँढकर,
सुबूत अपनी वफादारी का।।-
Mujhe khoon ke aansoon rulane wale,
Tu bhul gaya ki Waqt kabhi ek sa nahi rehta,
Waqt badalta rehta hai karwatein
Royega tu bhi, bus fark itna hoga ki tere aansoon pochne wala koi na hoga..-
वक्त की गद्दारी देखी🕰️
अपनो की यारी देखी🙏
तकदीर के फैसले देखे⏳
अपनो के बीच फासले देखे💥
रूहो की हड़ताल देखी⏺️
अभिमान की चाल देखी⚾
मतलब की दुनिया की 🏌️
मिलावटी चाल देखी🏃-
इस दिल को लगता था कि तुमने,दिल देखकर यारी की है।
यारी के नाम पर तुमने, कितनी बड़ी गद्दारी की है।।
जब तुम्हें जरूरत थी किसी की,मैंने वक्त पर थाम लिया।
अब दूर दूर तक कर लिया किनारा,कितनी अच्छी वफादारी की है।।
अफसोस नहीं है मुझे तुम्हारे, यू छोड़कर जाने का।
पहले दिल से लगाया था,अब फेरहिस्त खाली हमारी की है।।
यार तुम्हें मैं कैसे बताऊँ, सबूत निभाई दोस्ती का।
खुद की महफिलों में भी हमने,तारीफे भी तुम्हारी की है।।-
तकलीफ इस दुनिया को क्यों हमसे हो रही है?
शायद कुछ तो हम में भी खासियत जिंदा हो रही है
गद्दारों की भी कमी नही इस जहां में
जब गद्दारी खुद के संग हो रही है
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