बड़ी दूर से आता दिखा, एक क़ाफ़िला मोहब्बतों का,
ख़ूबसूरत साज़ गुनगुनाते, पैग़ाम-ए-निस्बतों का,
संग हो लिये हम उनका जज़्बा देख,नूर चमक उठा निगाहों का,
काँप उठी रूह जब सामना हुआ, कुछ काँटों भरी राहों का,
होश जब तक आया, हम बहुत दूर निकल चुके थे,
शौक पूरे हुए नहीं, उस पे जल्दी में हम चप्पल भी भूल चुके थे।। 😥🙄
-