pragati Kumar shrivastava   (प्रगति कुमार श्रीवास्तव)
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Joined 1 May 2019


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Joined 1 May 2019
29 APR 2024 AT 20:27

एक कतरा अश्क भी मेरी आंखों में उसे बर्दाश्त नहीं।
कब रोए थे पिछली दफा मुझको तो ये भी याद नहीं।

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25 APR 2024 AT 22:58

भूलना अच्छा होता है शब्द अच्छा है कहने के लिए।
कलेजा चाहिए हर दर्द को चुपचाप से सहने के लिए।

भूल सकते यूं हम तो अपना हर बुरा वक्त भूल जाते।
सच बताओ क्या जहर चाहिए जान बचाने के लिए।

किताब में बताई गई क्या हर एक बात में सच्चाई है।
एक चिंगारी ही काफी है पूरे घर को जलाने के लिए।

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25 APR 2024 AT 22:27

मुझे आज भी तन्हाई में तेरी आवाज सुनाई देती है।
देखता हूं कोई भी तस्वीर तेरी सूरत दिखाई देती है।

आज भी तेरा एहसास मैं खुद में महसूस करता हूं।
बेशक तुम्हे भूलने का बहाना भी मैं खूब करता हूं।

तेरा अक्स सिमटा हुआ है मुझमें एहसास बनकर।
मुझको आज भी मेरी परछाई में तू दिखाई देती है।


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25 APR 2024 AT 20:40

दे सकते गर हम तो हर खुशी देते।
लब पे हंसी खूबसूरत जिंदगी देते।

सोचने भर से यहां कुछ होता नहीं।
ता उम्र तक का तुझे अपना वक्त देते।

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25 APR 2024 AT 20:16

दिल को सौप दिया है मैंने तेरे हांथ में।
जीवन की डोर है मेरी अब तेरे साथ में।

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25 APR 2024 AT 20:11

While my friend waits to be set up with the one he loves.but she set up with me

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25 APR 2024 AT 20:05

हर मुलाकात पे तेरी तलब बढ़ जाती है
नशा बनकर के मेरे सर पे चढ़ जाती है।

तू साथ होती है तो जिंदगी खुशनुमा है।
तेरे जाने से मेरी तबियत बिगड़ जाती है।

कीमती कितनी है इसकी कीमत नही है।
तेरे जाने से मेरी धड़कन भी थम जाती है।

चेहरे लाखों है मगर कोई तुम जैसा नहीं है।
एक तेरे होने से जीने की चाहत बढ़ जाती है।

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25 APR 2024 AT 19:51

दिल की धड़कन भी मुझे बेजार लगती है।
रिश्ता कैसा है तू मुझे बस खास लगती है।

तकदीर का भरोसा ना एतबार किस्मत पे।
सच कहूं तेरे बिन जिंदगी बेकार लगती है।

ख़्वाब बहुत देखा है मैंने जागती आंखों से।
मतलब के रिश्ते है मतलब की ये दुनियां है।

रूठ जाने से तेरे मेरी सांस भी थम जाती है।
एक तू ही मुझे इन सब में निस्वार्थ लगती है।



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25 APR 2024 AT 12:44

इश्क़ छुपता नहीं हैं कभी हमारे लाख छुपाने से।
सब जान जाते है लोग किसी ना किसी बहाने से।

कातिल आंखे है और कातिलाना है हसकर देखना।
हम डरते है क्यूं आख़िर इस जज़्बात को बताने से।

जब लगती है आग दिल में फिर धुआं तो उठता है।
दिल के आगे बेबस है इश्क़ पे जोर कहां चलता है।

बैठे है यूं तेरे ख्यालों काश की ऐसा कमाल हो जाए।
बयां ए इश्क़ मेरा प्रगति आंखों ही आंखों में हो जाए।

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23 APR 2024 AT 22:25

मोहब्बत जब भी होगी मुझे जानिब बेमिसाल होगी।
दो जिस्म की धड़कन है यूं धड़कती एक साथ होगी।

ना होगी कोई सीमा ना किसी सरहद की बात होगी।
उन आंखों में झांककर मैने गुजारी राते तमाम होगी।

महसूस हो तुमको इश्क मेरा तू भी तो बेकरार होगी।
मोहब्बत जब भी होगी प्रगति मुझे कमाल की होगी।



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